सजल दिव्य फाउंडेशन, संत आश्रम 9 अगस्त को एक कुण्डीय और 10 अगस्त को नौ कुण्डीय महायज्ञ का अनुष्ठान करेगा। आश्रम के आचार्य मनोज व आचार्य विजय ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि श्रावण मास की पूर्णिमा को जनेऊ संस्कार का विशेष महत्व है। श्रावणी पूर्णिमा पर पुराने जनेऊ परिवर्तन कर नए जनेऊ धारण किए जाते हैं। चातुर्मास में ब्रह्मचर्य-गृहस्थ-वानप्रस्थ और सन्यास सभी आश्रमों को वेद व शास्त्र का स्वाध्याय करने के लिए अनिवार्य रुप से कहा गया है। ईश्वर की उपासना व वेद-शास्त्र के स्वाध्याय करने से जीव को मुक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि नौ कुण्डीय महायज्ञ अनुष्ठान से वातावरण की शुद्धि व सकारात्मक ऊर्जा का जागरण होता है। इससे वर्षा ऋतु से उत्पन्न रोगों का और कीटाणुओं का विनाश होता है ।महायज्ञ करने से पितृ दोष,वास्तु दोष,प्रेत बाधा,भूत बाधा एवं सभी प्रकार के विकारों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि यज्ञ से शारीरिक-मानसिक- सामाजिक व आध्यात्मिक उन्नति होती है। यज्ञ ही देवताओं को प्रसन्न करने का उत्तम उपाय है। शास्त्रों में संसार का सबसे श्रेष्ठ व उत्तम कर्म यज्ञ को बताया गया है। आचार्य मनोज ने बताया कि श्रावण मास की पूर्णिमा को यज्ञ आरंभ व भाद्रपद मास की प्रतिपदा को नौ कुंडीय महायज्ञ में पूर्ण आहुति प्रदान की जाएगी। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ही वैदिक आरोग्य मिशन का शुभारंभ किया जाएगा। जो समस्त जगाधरी-यमुनानगर वासियों को आरोग्य प्रदान करेगा। आचार्य विजय का कहना है कि यज्ञ करने से सभी प्राणियों को सुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है। आयुर्वेदाचार्य वैद्य अभिमन्यु भार्गव ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आई एस सहगल, समाज सेवी चिराग सिंघल आदि भी मौजूद रहे।
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