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करनाल का रण कर्ण नगरी में इस बार पांचों सीटों पर सीधा संग्राम

रमेश सरोए करनाल, 3 सितंबर कर्ण की नगरी यानी करनाल जिला में इस बार बड़ा चुनावी संग्राम होगा। लगातार दस वर्षों से मुख्यमंत्री के इलाके के तौर पर जाने गए इस जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस...

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रमेश सरोए

करनाल, 3 सितंबर

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कर्ण की नगरी यानी करनाल जिला में इस बार बड़ा चुनावी संग्राम होगा। लगातार दस वर्षों से मुख्यमंत्री के इलाके के तौर पर जाने गए इस जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा टकराव होने के आसार हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा तीन सीटों – करनाल, इंद्री और घरौंडा में कमल खिलाने में कामयाब रही थी जबकि दो हलकों, असंध और नीलोखेड़ी में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था।

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भाजपा को नयी प्लानिंग के साथ उतरना होगा

इस बार के चुनावों में इंद्री, करनाल और घरौंडा में हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा को तगड़ा पसीना बहाना होगा। वहीं असंध और नीलोखेड़ी को फिर से हासिल करने के लिए भी नयी प्लानिंग के साथ चुनावी मैदान में उतरना होगा। बेशक, चुनाव कितना रोचक होगा, इसका अंदाज़ा तो दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के मैदान में आने के बाद ही हो पाएगा। लेकिन इतना जरूर है कि दोनों ही दलों के बीच करनाल की पांचों सीटों के लिए धड़-सिर की बाजी लगने वाली है।

भाजपा के लिए यह जिला इसलिए भी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जीटी रोड बेल्ट का सबसे अहम और अधिक सीटों वाला जिला है। जीटी रोड बेल्ट की वजह से ही भाजपा लगातार दो बार सत्ता की दहलीज तक पहुंच पाई। 2019 में मिले सियासी झटके के अलावा हालिया लोकसभा चुनाव के नतीजों को भी भाजपा ध्यान में रखकर चल रही है।

अंबाला और सोनीपत पार्लियामेंट में भाजपा की हार और कुरुक्षेत्र व करनाल में जीत का मार्जन काफी कम होने की वजह से भी समीकरण बदले हैं।

टिकट के लिये भागदौड़ कर रहे हैं नेता

करनाल जिला के हलकों में टिकट के लिए दोनों ही पार्टियों के नेता भागदौड़ कर रहे हैं। दिल्ली में डटे हुए हैं। टिकट के लिए हर तरह की कोशिशें हो रही हैं। करनाल सीट से वर्तमान में मुख्यमंत्री नायब सिंह विधायक हैं। 2014 और 2019 में यहीं से चुनाव जीतकर मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने थे। ऐसे में उनकी प्रतिष्ठा भी इस बार दांव पर होगी। वे करनाल पार्लियामेंट से ही सांसद हैं। सवा नौ वर्षों से अधिक समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल को इस बेल्ट में पहले से अधिक मेहनत करनी होगी। दस वर्षों की सरकार से एंटी-इन्कमबेंसी होना भी स्वभाविक है। हालांकि शहरी इलाकों में अभी भी भाजपा की मजबूत पकड़ दिख रही है। लेकिन ग्रामीण एरिया में वोट हासिल करने के लिए भाजपा को माइक्रो मैनेजमेंट के साथ मैदान में उतरना होगा।

करनाल

वर्तमान में सीएम नायब सिंह सैनी विधायक हैं। करनाल नगर निगम की दो बार मेयर रही रेणु बाला गुप्ता, सीएम के मीडिया कार्डिनेटर जगमोहन आनंद और मुख्यमंत्री के ओएसडी संजय बठला टिकट के प्रबलतम दावेदार माने जा रहे हैं। जगमोहन आनंद का नाम सबसे ऊपर दिख रहा है। कांग्रेस से पूर्व विधायक सुमिता सिंह, कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष सुरेश गुप्ता व सरदार तरलोचन सिंह टिकट मांग रहे हैं।

नीलोखेड़ी

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस हलके के मौजूदा विधायक धर्मपाल गोंदर कांग्रेस के साथ हैं। वे कांग्रेस टिकट के लिए ट्राई कर रहे हैं।

एचपीएससी सदस्य रहे राजेश वैद्य भी प्रबल दावेदारों में हैं। कांग्रेस के 88 लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया।

वहीं भाजपा की ओर से पूर्व विधायक भगवान दास कबीरपंथी का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है।

घरौंडा

दो बार के विधायक हरविंद्र कल्याण भाजपा टिकट के प्रबलतम दावेदार हैं। उनकी टिकट पर किसी तरह को जोखिम नहीं लगता। हरविंद्र कल्याण की गिनती केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल के करीबियों में होती है। करनाल लोकसभा चुनाव के इंचार्ज भी कल्याण ही थे। कांग्रेस की ओर से भूपेंद्र लाठर ‘भूप्पी’, पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान व सुशील कश्यप सहित चालीस से अधिक नेता टिकट की दौड़ में हैं।

इंद्री

भाजपा के मौजूदा विधायक रामकुमार कश्यप की टिकट कटने के आसार हैं। उनकी जगह पूर्व मंत्री कर्णदेव काम्बोज का नाम चल रहा है। 2014 में भी काम्बोज यहां से विधायक रहे हैं। कांग्रेस से पूर्व विधायक राकेश काम्बोज, पूर्व मंत्री भीमसेन मेहता और नवजोत कश्यप सहित कई नेता टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं।

असंध

2019 में कांग्रेस के शमशेर सिंह गोगी ने यहां से भाजपा को शिकस्त दी। वे पहली बार विधायक बने। सिटिंग विधायक होने के चलते उनकी टिकट पर खतरा नहीं दिखता। भाजपा की ओर से करनाल जिलाध्यक्ष योगेंद्र राणा का नाम सबसे टॉप पर बताया जा रहा है। पूर्व मुख्य ससंदीय सचिव जिलेराम शर्मा और सरदार बख्शीश सिंह विर्क भी टिकट के लिए दौड़ लगा रहे हैं।

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