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कलेसर से निकलने वाली सुकरो नदी खेतों में बरसा रही कहर

यमुना नदी व नेशनल पार्क कलेसर से निकलने वाली सुकरो बरसाती नदी खेतों में कहर बरसा रही है। कलेसर गांव के बंजारा बास, ममदू बास व कलेसर में भूमि कटाव हो रहा है। विभागीय अधिकारी चाह कर भी बाढ़ रोकथाम...
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यमुना नदी व सुकरो नदी में अधूरे पड़े बाढ़ रोको प्रबंध कार्य।-निस
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यमुना नदी व नेशनल पार्क कलेसर से निकलने वाली सुकरो बरसाती नदी खेतों में कहर बरसा रही है। कलेसर गांव के बंजारा बास, ममदू बास व कलेसर में भूमि कटाव हो रहा है। विभागीय अधिकारी चाह कर भी बाढ़ रोकथाम व बाढ़ बचाव कार्य नहीं करवा पा रहे हैं। ईको सिस्टम जोन घोषित होने के कारण ग्राम पंचायत कलेसर के किसानों को भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है। करोड़ों रुपये खर्च कर भी कार्य पूरे न होने से यमुना व सुकरो नदी में दर्जनों एकड़ जमीन पानी में समा रही है। कलेसर नेशनल पार्क के साथ साथ इको सेंसेटिव जोन हरियाणा की सीमा पर बसे गांव कलेसर, ममदूबांस, बंजारा बांस व फैजपुर के लोगों के मुसीबत का कारण बना हुआ है। सिंचाई विभागी के अधिकारियों से मिली जानकारी अनुसार कलेसर गांव व एग्रीकल्चर लैंड को यमुना नदी में आई बाढ़ के कटाव से बचाने के लिए सरकार की ओर से 6.76 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया था। जो कि कबीर साहेब फार्मेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा 5.25 करोड़ रुपए में टैंडर रेट पर कंक्रीट वर्क किया था। इसके बाद लगभग 2.5 करोड़ रुपए के फ्लड वर्क के टैंडर विभिन्न अलग-अलग कंपनियों द्वारा लिए गए थे। जून महीने में ही जिनके एग्रीमेंट होने के बाद बोल्डर समेत 80 प्रतिशत कार्य पूरे कर लिए गए थे। इस कमेटी के चेयरमैन उपायुक्त यमुनानगर व मेंबर डीएफओ वाइल्ड लाइफ वार्डन होते हैं। अब तक करोड़ों रुपये की दर्जनों एकड़ जमीन यमुना व सुकरो नदी में समा चुकी है। ग्रामीणों सुरेंद्र सिंह, बलराम,शौकत, अंकित, जमील, गुलाब सिंह आदि ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द बाढ़ राहत कार्य शुरू कराए जाएं।

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