जिला पुस्तकालय के मुद्दे को लेकर पुस्तकालय संघर्ष समिति की बैठक रविवार को सेवानिवृत्त वेटरनरी डॉक्टर भगवान दास की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में जिला पुस्तकालय की बदहाल स्थिति, प्रशासनिक उदासीनता और शहर में इसके उचित स्थान को लेकर गहन मंथन किया गया।
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि बुधवार 27 अगस्त को समिति का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपेगा और उनसे मांग की जाएगी कि नये बस स्टैंड पर बोरियों में बंद कर रखी गई पुस्तकों को सम्मानपूर्वक तरीके से अलमारियों में रखा जाए और पाठकों के लिए उपलब्ध कराया जाए। समिति का कहना है कि हजारों पुस्तकों को बोरियों में बंद करके रखा जाना न केवल किताबों का, बल्कि शिक्षा व ज्ञान का भी अपमान है।
आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी जब देश आधुनिक पुस्तकालयों की ओर बढ़ चुका है, तब फतेहाबाद को पीछे क्यों धकेला जा रहा है। बैठक में आजीवन सदस्यों को किताबें इश्यू न किए जाने पर चिंता व्यक्त की गई। ऐसा इतिहास में पहली बार देखा गया है कि किताबें अलग जगह पर बोरियों में बंद पड़ी हों और रीडिंग रूम कहीं और हो। बैठक में सरकार द्वारा उच्च शिक्षा विभाग को जिला पुस्तकालय के लिए आवंटित की गई दो कनाल जमीन की असमंजस की स्थिति को लेकर भी चिंता जताई गई। बैठक में मांग की गई कि जब तक स्थायी पुस्तकालय का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक जीटी रोड स्थित पंचायत भवन के दो हॉल जिला पुस्तकालय के अस्थायी संचालन के लिए आवंटित किये जाएं। मीटिंग के बाद संयोजक मोहनलाल नारंग ने मीडिया को बताया कि पुस्तकालय संघर्ष समिति जब तक जिला पुस्तकालय नहीं मिलता, तब तक संघर्ष निरंतर जारी रखेगी।
बैठक में एडवोकेट सुशील बिश्नोई, नागरिक मंच के संयोजक राजीव सेतिया, सिटी वेलफेयर क्लब के प्रधान विनोद अरोड़ा, पूर्व सरपंच रामजस, कर्मचारी नेता सुभाष चौहान, अध्यापक रमेश कुमार, अध्यापक गोल्डी झंडई, संतोख सिंह वधवा, पत्रकार राज डाबला, राजकुमार बीसला, संजय, योगेश कुमार, राधेश्याम सोनी, मौजम अली, सुरेंद्र जटिया, हरबंस लाल मेहरा, नवीन सिन्हा आदि अनेक पुस्तकालय सदस्य मौजूद रहे।