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समाज का वासन धर्म आधारित होना चाहिए : मोहन भागवत

पट्टीकल्याणा में आयोजित 3 दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ

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पट्टीकल्याणा में आयोजित 3 दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन करते संघ सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत। -निस
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भारतीय इतिहास, संस्कृति व संविधान विषय पर अपना वक्तव्य देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन मधुकर भागवत ने कहा कि धर्म अर्थात सबकी धारणा करने वाला, सबको सुख देने वाला होना चाहिए जो प्रकृति का नियम है। प्राचीन काल में राजा धर्म के अनुसार शासन करता था। वह समाज को नियंत्रित करता था। मंत्री परिषद की सलाह मानता था। डाॅ. भागवत शुक्रवार को पट्टीकल्याणा स्थित माधव सेवा न्यास में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

डॉ. भागवत ने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद द्वारा प्रदर्षित जम्मू-कश्मीर व लदाख पर आधारित एक चित्र प्रदर्षनी का अवलोकन भी किया। 7 दिसंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय सेमिनार के पहले दिन 120 पत्रों का वाचन किया गया। आगामी दो दिनों में करीब 230 शौध-पत्रों का वाचन किया जाएगा। मोहन भागवत ने कहा कि नीति ग्रंथों के अनुसार समाज जिस नियम व कानून का अनुपालन करता था, वह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। आज भी इसी से समाज का संचलान हो रहा है। अगर इतिहास संकलन समिति पुराने व्याख्यानों पर काम कर रहा है तो यह गर्व की बात है। अभी हमारे समाज को प्रस्तावना, कर्तव्य, एवं समानता पर ध्यान रखना जरूरी है।

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सेमिनार मे देशभर से 1500 के करीब इतिहासकार एकत्रित हुए है।

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समारोह में विषिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि इतिहास का पुर्नलेखन आवश्यक है। आज से 50 वर्ष पूर्व इस बात की कल्पना करना भी नामुमकिन था कि आज भारत राष्ट्रीय पुर्नजागरण के एक ऐसे दौर से गुजरेगा, जब इतिहास भारतीय संस्कृति पर आधारित होगा। हम कौन है? इस प्रश्न से भारतीय इतिहास को जाना जा सकता है। भारतीय इतिहास चेतना का महासागर है और यह जीता जागता प्रवाह है। दो हजार वर्षों तक लगातार आक्रमण के पश्चात भी इसकी निरंतरता बनी रही। एआई का सही प्रयोग भारतीय इतिहास की जरूरत है और पांडुलिपियों का डिजिटलाइजेशन भी महत्वपूर्ण है। समारोह मे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आईसीएचआर के अध्यक्ष प्रो. रघुवेन्द्र तंवर ने कहा कि संविधान को समझने के लिए भारत एवं उसकी संस्कृति को समझना आवश्यक है। विभाजन ने भारतीय समाज को तोड़ दिया।

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के मुख्य संरक्षक गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि हजारों वर्षों के आक्रमण से भारतीय इतिहास बिखर हो गया है, किंतु इतिहास संकलन के प्रयास से इसे पुर्नलेखन के माध्यम से इक्कठा करने का प्रयास किया जा रहा है, यह प्रयास सराहनीय है। राष्ट्रीय महाधिवेशन की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. देवी प्रसाद सिंह ने कविता से अपने भाव को स्पष्ट करते हुए कहा कि संविधान को भारतीय संस्कृति से अलग करके नहीं देखा जा सकता। कार्यक्रम का संचालन प्रो. ईश्वर शरण विष्वकर्मा ने किया। सेमिनार मे मुख्य रूप से सुरेश सोनी, सह-सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उत्तर क्षेत्र के संघचालक पवन जिंदल, पानीपत शहरी विधायक प्रमोद विज, विधायक समालखा मनमोहन भड़ाना, प्रांत संघचालक प्रताप सिंह, प्रांत प्रचारक डॉ. सुरेन्द्र पाल, प्रांत प्रचार प्रमुख राजेश, सह प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. लक्ष्मी नारायण मौजूद रहे।

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