साधु जीवन जितना सरल और सहज होगा, आत्मकल्याण उतनी शीघ्रता से संभव : अरुण चंद्र
जैन समाज के पर्वराज पर्युषण महापर्व के छठे दिन आज धर्म और भक्ति का विशेष समागम देखने को मिला। अंतकृत सूत्र के छठे अंग की वाचना के अवसर पर युवा प्रेरक, आगम ज्ञाता योगीराज श्री अरुण चंद्र महाराज ने अपने शिष्यों अभिषेक मुनि एवं अभिनंदन मुनि के साथ मंगलकारी प्रवचन दिया। जैन संत ने अपने प्रवचन में कहा कि साधु जीवन जितना सरल और सहज होगा, आत्मकल्याण उतनी शीघ्रता से संभव होगा। उन्होंने बताया कि स्थानकवासी संत तप और संयम की साधना में जीवन व्यतीत करते हैं, उनके पास केवल झोली, पात्रें और ओगा होता है, और जीवन पूर्णतः त्यागमय होता है। प्रवचन का मुख्य विषय भगवान महावीर के प्रमुख शिष्य गौतम स्वामी के साथ भगवान के पास आये ऐवंता कुमार का जीवन रहा। अरुण मुनि ने बताया कि महावीर स्वामी के 14,000 शिष्यों में गौतम स्वामी सबसे बड़े हैं और उनका विशेष महत्व है। भगवान महावीर के मोक्ष होने के तुरंत बाद ही गौतम को भी न केवल ज्ञान हो गया था, उन्होंने भी मोक्ष प्राप्त कर लिया था। इस अवसर पर जैन संत ने ऐवंता कुमार की प्रेरणादायी कथा का भावपूर्ण वर्णन किया गया। केवल आठ वर्ष की आयु में कुमार ने श्रद्धाभाव से गौतम स्वामी को आहार अर्पित किया और उनके साथ भगवान महावीर के चरणों में पहुंचे। प्रभु के दर्शन से उनमें वैराग्य जाग्रत हुआ और माता-पिता की अनुमति से उन्होंने दीक्षा ग्रहण की।
उस नगर में इस दीक्षा का समाचार फैलते ही वातावरण उत्सवमय हो गया। पालकी में बैठे ऐवंता कुमार और उनकी माता की भावनाओं से भक्ति रस छा गया। माता के मुख से निकला गीत चमकेगा अब गगन में, मेरी आंख का सितारा, बन जाएगा प्रभु का, जो अब तक था हमारा। सुभाष जैन ने बताया की दूर-दूर से श्रद्धालु जैन संतों के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। संवतश्री 27 अगस्त बुधवार को है।