मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

मीसा के तहत गिरफ्तार सूरजभान व शिव प्रसाद के नाम भी सूची से नदारद

दैनिक ट्रिब्यून विशेष : आपातकालीन पीड़ितों की सूची में जेल या भूमिगत रहने वालों के नामों का जिक्र नहीं
Advertisement

जितेंद्र अग्रवाल/हप्र

अम्बाला शहर, 25 जून

Advertisement

भाजपा आज देश भर में लोकतंत्र हत्या दिवस मना रही है, जिसमें उस समय के उत्पीड़ित व्यक्तियों को या उनके परिजनों को सम्मानित किया गया, लेकिन अम्बाला में प्रशासन के साथ-साथ भाजपा भी अपने उन बड़े नेताओं तक को भूल गई जिनकी आपातकाल में मीसा के तहत गिरफ्तारियां हुई थीं। दरअसल, आपातकाल में उस समय के सत्ताधारियों ने अपने विपक्षी नेताओं और विरोधियों का खुलकर उत्पीड़न किया था।

पहली बार जब प्रदेश में खांटी संघी मनोहर लाल के नेतृत्व में भाजपा की पहली पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी तो उन्होंने आपातकाल के पीड़ितों को या उनके परिजनों को सम्मानित करने का सिलसिला चलाया गया था, लेकिन इस मामले में जिला अम्बाला के सत्तासीन लोगों व संघ के अधिकारियों ने प्रशासन के साथ मिलकर उक्त सूचियाें से कुछ लोगों को भुला ही दिया। इनमें भाजपा के बड़े नेता व कई बाद सांसद रहे सूरजभान और लगातार 3 बार विधायक चुने गए मास्टर शिव प्रसाद का नाम ही आपातकालीन सूची से नदारद है। इन दोनों नेताओं पर मीसा के तहत कार्रवाई की गई और 10 महीने तक जेलों में रखा गया था। अब दोनों का स्वर्ग हो चुका है, लेकिन सूरजभान के बेटे अरुण भान और शिव प्रसाद के बेटे अनिल प्रसाद ने पूछने पर बताया कि उन्हें कभी किसी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया। दोनों ही आज 25 जून 1975 के आपातकाल के काले दौर को याद करते हुए बताते हैं कि उनके परिवारों ने अपना गुजारा किस तरह किया, उसको याद करके आज भी सिहर जाते हैं।

इसी प्रकार नगर पालिका के पूर्व प्रधान रहे चुके स्व. कीर्ति प्रसाद जैन और भाजपा के दिग्गज नेता अमृतलाल कपड़े वालों समेत कई नेता भूमिगत होकर काम करते रहे। अम्बाला शहर में ही कांग्रेस नेताओं के कहने पर रोशनलाल अग्रवाल, ईश्वर करण, वेद प्रकाश, कौशल कुमार, राम मूर्ति जोशी आदि 9 दुकानदारों को जनसंघी होने के कारण आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर भारी भरकम जुर्माना ठोका गया था। कई कार्यकर्ताओं ने सत्याग्रह करके सरकार की खिलाफत की थी लेकिन आहज उनमें से अनेक के नाम प्रशासन की सूची में नहीं है। ऐसे उत्पीड़ित लोगों में श्याम लाल डिपो वाले, संत राम सेखड़ी स्वर्णकार, मास्टर सोमनाथ खुराना और गोरे लाल का नाम शामिल हैं। यह सभी आरएसएस से जुड़े लोग थे। अन्य कई आपातकालीन पीड़ितों को सरकारी स्तर पर और संगठन सतर पर सम्मानित किया जा रहा है, लेकिन ऐसे भुला दिए गए लोगों के परिजनों के दिल पर क्या बीतती होगी।

डीसी बोले- सूची मेरी पोस्टिंग से पहले की बनी हुई

डीसी अजय सिंह तोमन ने बताया कि यह सूची मेरी पोस्टिंग से पहले की ही बनी हुई है। संभवत: उनकी है जिनको सरकार की ओर से पेंशन दी जा रही है और वे जीवित हैं। यदि प्रशासन की सूची में कोई ऐसा नाम नहीं है तो संबंधित आवेदन करके अपना रिकाॅर्ड जमा करवा सकते हैं, जांच के बाद सरकार की स्वीकृति से उनके नाम भी शामिल हो सकते हैं।

Advertisement
Show comments