ब्रह्मसरोवर के घाटों पर नजर आया देश की लोक संस्कृति का महाकुंभ
-लोक नृत्यों पर कलाकारों संग झूमे पर्यटक, हरियाणा पवेलियन भी बना आकर्षण का केन्द्र
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर देश की लोक संस्कृति का महाकुंभ देखने को मिला। महोत्सव में जम्मू कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, असम, राजस्थान व उत्तराखंड के कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश के लोक नृत्य की प्रस्तुति देकर समा बांध दिया। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में सरस और शिल्प मेले में शिल्प कलाओं के साथ-साथ देश की लोक संस्कृति को देखने का सुनहरी अवसर पर्यटकों को मिला है।
लोक कलाकार ब्रह्मसरोवर के किनारे अपने लोक वाद्य यंत्रों से पर्यटकों को लुभाने और दिल जीतने का काम कर रहे हैं। सपेरा बीन पार्टी अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए महोत्सव में जगह-जगह घूम कर लोक वाद्य कला बीन का प्रदर्शन कर रही है। पार्टी में शामिल बुजुर्ग कलाकार भी बीन बजा, तुम्बा और ढ़ोल बजा कर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ये कलाकार इटली और दुबई में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके है और पिछले कई वर्षों से गीता महोत्सव में आ रहे है। उनकी इस कला के लिए वे कई बार सम्मानित भी हो चुके हैं।
शिल्प मेले और सरस मेले में पर्यटक जमकर खरीददारी कर रहे हैं। इतना ही नहीं पर्यटकों ने ताऊ बलजीत की गोहाना जलेबी, राजस्थान का चुरमा तथा अन्य पकवानों का स्वाद भी चखा। जनसंपर्क विभाग की राज्यस्तरीय प्रदर्शनी, मध्य प्रदेश व हरियाणा पवेलियन में इन राज्यों की संस्कृति से रूबरू होने का अवसर भी मिला। प्रशासन के अनुसार महोत्सव में पिछले 10 दिनों में लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचे है। महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 1 दिसंबर तक और सरस व शिल्प मेला 5 दिसंबर तक जारी रहेगा।
महोत्सव में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा पुस्तक मेला भी लगाया गया, जिसका शुभारंभ कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य अशोक रोसा ने किया। इसके अलावा हरियाणा पवेलियन में लगाए गए विभिन्न स्टालों लकड़ी कला, गुड्डे-गुडिया की कला, स्वदेशी उत्पादों का प्रदर्शन इत्यादि भी लोगों को खूब भा रहा है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा का कहना है कि हरियाणा पवेलियन आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। साथ ही फाइन आर्ट्स विभाग, होम साइंस विभाग, आईआईएचएस, धरोहर संग्रहालय, स्टार्टअप स्टाल, स्वदेशी उत्पाद, सरस्वती नदी अनुसंधान केंद्र, यज्ञशाला तथा पगड़ी बंधवाओ का स्टाल भी आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
