पहली बारिश ने खोली निगम के दावों की पोल; सड़कें जलमग्न, घरों-दुकानों में घुसा पानी
यमुनानगर, 22 जून (हप्र)
प्री-मानसून बारिश से आज जहां मौसम सुहावना हुआ तो वहीं लोगों को कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। आज तड़के हुई बारिश के बाद शहर के अधिकांश इलाके जल मग्न हो गए। पानी लोगों के घरों में जा घुसा। पहली बारिश ने नगर निगम के दावों की पोल खोल दी। शहर की कई कॉलोनी में लोगों के घरों में सीवरेज का गंदा पानी घुसने से लोग नाराज हुए और उन्होंने पार्षद से लेकर विधायक सहित निगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली को जमकर कोसा। वार्ड 8 के प्रोफेसर कॉलोनी के निवासी सुशील गर्ग, अवतार व हरमिंदर ने बताया कि हॉस्टल रोड पर सीवर बंद होने से गंदा पानी लोगों के घरों में घुस गया। कई बार समाधान शिविर में भी इस मुद्दे को लेकर शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं। उन्होंने मांग की कि निगम अधिकारी तुरंत मौके पर आकर हालत का जायजा लें और समस्या का समाधान करें।
जगाधरी में 54 एमएम बरसे बदरा
जगाधरी (हप्र) : आज तड़के कुछ इलाकों में तेज बरसात हुई। सुबह करीब 3:00 बजे शुरू हुई बरसात 7:30 बजे तक चलती रही। जिले के जगाधरी इलाके में सर्वाधिक 54 एमएम बरसात हुई। क्षेत्र के किसान रामपाल, सुरेश चौधरी व कर्म सिंह का कहना है कि बूड़िया, छछरौली, यमुना नदीबेल्ट, खारवन, ओधरी, भेडथल, पंजेटो, कनालसी व कैल आदि इलाकों में बारिश हुई। तेज बारिश से मौसम भी सुहाना हो गया तो वहीं इससे चौतरफा पानी भर गया। वहीं इस बरसात से धान की रोपाई जोर पकड़ गई। जहां इस बरसात को कृषि विशेषज्ञ फसल के लिए बढ़िया बता रहे हैं तो वहीं वे इसे मानसून की एंट्री भी बता रहे हैं। कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास का कहना है कि यह बरसात फसलों के लिए हर लिहाज से फायदेमंद है। उनका कहना है कि धान व गन्ने की फसल के लिए यह बहुत ही लाभकारी है। अब किसान धान की रोपाई बिना किसी हिचक कर सकते हैं।
अम्बाला : धान रोपाई के लिए प्रवासी मजदूरों की कमी
अम्बाला, 22 जून (हप्र)
जून का महीना बीतने को है, लेकिन अम्बाला में धान की रोपाई का काम गति नहीं पकड़ पा रहा। इसका सबसे बड़ा कारण प्रवासी मजदूरों का संकट है, क्योंकि पंजाब सरकार के जल्दी धान लगाने के फैसले का असर हरियाणा में धान रोपाई पर सीधा नजर आ रहा है।
पिछले 20 सालों से जो प्रवासी मजदूर हरियाणा खासतौर अम्बाला क्षेत्र में धान की रोपाई करने आते थे, वे इस बार पंजाब चले गये। उनका कहना है कि पंजाब में इस बार धान की रोपाई 1 जून से शुरू हो गई थी और वहां उनकी डिमांड में पूरी रही। वहां के किसान उन्हें 5 हजार रुपये प्रति एकड़ तक मजदूरी दे रहे हैं, जिसके चलते उन्होंने पंजाब में जाना ठीक समझा। प्रवासी मजदूरों के संंकट से किसान खासे परेशान हैं।
हालत ये है कि जो किसान अभी तक 50 फिसदी काम पूरा कर लेता था, उन्हें धान रोपाई का काम शुरू करने में ही दिक्कत आ रही है। बिहटा के किसान प्रदीप सिंह ने बताया कि उनके पास हर बार 10 प्रवासी मजदूरों की पार्टी धान रोपाई में आती थी, इस बार केवल 3 लोग ही आये, जिसके चलते धान रोपाई करना कठिन हो गया। गांव सम्भालखा के किसान पिंटू राणा ने बताया कि वे करीब 20 एकड़ धान लगाते हैं, लेकिन इस बार काम भी ढंग से शुरू नहीं कर पाये।