चिल्ली झील पर खर्च 13 करोड़ की राशि की सीएम ने मांगी जांच रिपोर्ट
जिला अधिकारियों की बैठक में बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री नायब सैनी के तेवर काफी तल्ख नजर आए। बिहार व अन्य प्रदेशों से आ रहे परमल धान व चावल की खबरों के बीच सीएम ने जलभराव के बावजूद भी मंडियों में इतना अधिक धान आने पर अधिकारियों से जवाबतलबी की। सीएम ने चिल्ली झील के मुद्दे पर डीसी से पूरी जांच करके रिपोर्ट मांगी। उन्होंने कहा कि 13 करोड़ की खर्च राशि की पूरी जांच करके रिपोर्ट उन्हें भेजी जाए। बैठक में मुख्यमंत्री ने विकास कार्यों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों से समयबद्ध व तीव्र गति से कार्य करने के निर्देश दिए। विशेषकर पीडब्ल्यूडी से जिले के भूना, रतिया, टोहाना में सड़कों की मरम्मत जल्द करने के लिए कहा।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि हिसार घग्गर ड्रेन की चौड़ाई बढाई जाए ताकि जलभराव वाले इलाकों से इसके जरिए पानी निकासी की समस्या का समाधान हो सके। ओटू झील पर बहाव के बोझ को कम करने के लिए हिसार से कहीं बीच में वैकल्पिक मार्ग से जल निकासी का प्रस्ताव तैयार किया जाए। उन्होंने सिंचाई विभाग को यह भी निर्देश दिए कि जिन गांवों से यह ड्रेन होकर गुजरती है, वहां इसे पक्का (कंक्रीट लाइनिंग) करने की संभावनाएं तलाशें ताकि मिट्टी कटाव और अवरोध की स्थिति न बने। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां-जहां जलभराव की स्थिति अभी बनी हुई है, वहां शीघ्र जल निकासी सुनिश्चित की जाए, ताकि किसान समय पर फसल की बुआई कर सकें। उन्होंने निर्देश दिए कि लो-लाइन क्षेत्रों को चिह्नित कर भविष्य के लिए ठोस कार्य योजना तैयार की जाए, जिससे आगामी वर्षों में वर्षा के दौरान जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में हुई बारिश से किसानों की फसल को हुए नुकसान की वेरिफिकेशन तेजी से पूरी की जाए। किसानों द्वारा क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपलोड किए गए डेटा की भौतिक जांच कर यह सुनिश्चित करें कि वास्तविक किसान को ही मुआवजा मिले। मुख्यमंत्री भाजपा जिला प्रधान प्रवीण जोड़ा के निवास पर पहुंचे। इस मौके में शहर के करीब तीस संस्थाओं ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया व मांग पत्र सौंपे। इस मौके पर पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली, पूर्व विधायक दूड़ा राम, चेयरमैन भारत भूषण मिढ़ा व भाजपा के प्रदेश सचिव सुरेंद्र आर्य भी उपस्थित थे। सीएम ने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि सड़कों की मरम्मत के लिए 45,00 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में डीएपी खाद की कोई कमी नहीं है। उन्होंने किसानों से अपील की कि पहले हम गोबर की खाद प्रयोग करते थे। अब भी प्रत्येक किसान कम से कम एक एकड़ में गोबर की खाद डाले।
 
 
             
            