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नगरपालिका उपाध्यक्ष की कुर्सी पर फिर संकट, पार्षद के निलंबन पर 24 घंटे में रोक

जीत सिंह सैनी / निस गुहला चीका, 2 जुलाई नगरपालिका में चल रहे सियासी घमासान में एक बार फिर विपक्ष ने बाजी पलट दी है। वार्ड 14 के पार्षद जितेंद्र कुमार जिन्हें सोमवार को निलंबित किया गया था, उनके निलंबन...

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जीत सिंह सैनी / निस

गुहला चीका, 2 जुलाई

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नगरपालिका में चल रहे सियासी घमासान में एक बार फिर विपक्ष ने बाजी पलट दी है। वार्ड 14 के पार्षद जितेंद्र कुमार जिन्हें सोमवार को निलंबित किया गया था, उनके निलंबन आदेश पर मंगलवार को स्थगन (स्टे) लग गया। अब जितेंद्र कुमार 3 जुलाई बृहस्पतिवार को उपाध्यक्ष पूजा शर्मा के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कर सकेंगे। बता दें कि मंगलवार 1 जुलाई को शहरी स्थानीय निकाय विभाग के डायरेक्टर पंकज कुमार ने पार्षद जितेंद्र कुमार को हरियाणा नगरपालिका अधिनियम 1973 की धारा 14 ए (1) के तहत निलंबित किया था। मगर पार्षद ने इस आदेश के खिलाफ धारा 14 ए (3) के अंतर्गत अपील दायर की। विभाग के सचिव एवं आयुक्त विकास गुप्ता ने 2 जुलाई को पार्षद के निलंबन आदेश को आगामी निर्णय तक स्थगित करते हुए स्टे दे दिया। आदेश में कहा गया कि पार्षद को अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया गया था और 20 जून 2025 को दर्ज की गई जिस एफआईआर के आधार पर पार्षद जितेंद्र को निलंबित किया गया है, वह अभी जांच के अधीन है। इसलिए निलंबन आदेशों को फिलहाल रोक दिया गया है और जितेंद्र फिर से पार्षद पद पर बने रहेंगे।

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सत्ता पक्ष की चिंता बढ़ी - नगर पालिका चीका में कुल 17 पार्षद हैं। उपाध्यक्ष को हटाने के लिए 12 वोट जरूरी हैं। जितेंद्र कुमार की वापसी के बाद फिलहाल विपक्ष के पास 12 पार्षदों का समर्थन दिख रहा है। यदि बुधवार की रात को कोई बड़ा उलट फेर नहीं होता तो बृहस्पतिवार को उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास होने की संभावना प्रबल मानी जा रही है। अब तक आश्वस्त दिख रहा सत्ता पक्ष बुधवार को नए सिरे से रणनीति बनाने में व्यस्त नजर आया। विपक्ष गुट की सक्रियता और जितेंद्र की वापसी ने उपाध्यक्ष पूजा शर्मा की कुर्सी पर एक बार फिर से संकट गहरा दिया है।

50 लाख रिश्वत मांगने के आरोप में दर्ज हुई थी एफआईआर

पार्षद जितेंद्र कुमार पर आरोप है कि उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव से दूरी बनाने के एवज में 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायतकर्ता विजय उर्फ मिंकु सिंगला ने एक रिकॉर्डिंग एंटी करप्शन ब्यूरो अम्बाला को सौंपी थी, जिस पर 20 जून को एफआईआर दर्ज की गई थी। दो अन्य पार्षद भी जांच के घेरे में हैं। इसी एफआईआर के आधार पर निलंबन की कार्रवाई हुई थी।

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