मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

श्राद्ध मेले में बिका लाखों रुपये का ‘मीठा जहर’

पिहोवा तीर्थ पर लगा मेला अमावस के स्नान के साथ संपन्न
Advertisement

मिलावटी व पुराने हो चुके जहरीले खाद्य पदार्थ किस प्रकार लोगों को खाने के लिए दिए जाते हैं, इसका जीता जागता उदाहरण पिहोवा तीर्थ पर लगे श्राद्ध मेले का, जहां लाखों रुपए का यह मीठा जहर बिक चुका है और अभी भी बिक रहा है। लगातार 16 दिनों तक चला श्राद्ध पक्ष का मेला रविवार अमावस स्नान के साथ ही संपन्न हो गया। मेले में भारी संख्या में श्रद्धालु आए। इन श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए जहां पिंडदान किया तो वहीं ब्राह्मणों को व अन्य लोगों को अन्न दान भी किया। इस अन्नदान में उन्होंने बर्फ, बालूशाही, लड्डू और न जाने कितने प्रकार के मिठाई व पकवान बांटे, परंतु उन्हें यह पता नहीं कि जो पकवान बांट रहे हैं, वह पुराना व मीठा जहर है। इन दिनों पिहोवा में भारी मात्रा में मिलावटी व पुरानी मिठाई बेची जा रही है। पंचकूला, अम्बाला, जींद, टोहाना, कैथल व आस-पास के जिलों से गाड़ियां भर कर मिठाइयों की आती रहीं और थोक में दुकानदारों को बेची जाती रही। यह मिठाई कितनी पुरानी है, इसका पता स्थानीय दुकानदारों को भी नहीं था। कुल मिलाकर लाखों रुपये का मीठा जहर यहां पर बेचा गया। इतना ही नहीं अब नवरात्र में भी बर्फी के नाम पर यही पुराना खाद्य पदार्थ बेचा जा रहा है। हैरानी की बात है कि प्रशासन इससे बेखबर है। इस बारे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि इस मामले में हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते। लगभग 5 वर्ष पूर्व ही उनसे अलग करके एक खाद्य एवं सेफ्टी विभाग बना दिया गया था। अब सैंपल लेना उनका कार्य है। बातों ही बातों में शहर में बिक रहे इस मिलावटी व धीमे जहर के साथ-साथ अन्य खाद्य पदार्थों बारे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने भी स्वीकार किया कि ऐसा काफी समय से चल रहा है। पिछले 6 महीने से पिहोवा में अधिकारियों ने कोई निरीक्षण ही नहीं किया, जिस कारण धड़ल्ले से खाद्यपदार्थ बेचे जा रहे हैं।

सात जिलों में खाली डीओ का पद

Advertisement

जब इस बारे फूड एंड सेफ्टी विभाग के अधिकारी डॉ. अमित चौहान से बात की तो उन्होंने बताया कि मिलावटी पदार्थों के लिए सैंपल लेने हेतु उनके पास डीओ नहीं है। सैंपल के समय डीओ की रिपोर्ट सील की जाती है, जिस कारण वह सैंपल नहीं ले सकते। पिछले दो-तीन महीनों से डीओ का पद भी रिक्त पड़ा है। डॉ़ अमित चौहान ने बताया कि केवल कुरुक्षेत्र ही नहीं लगभग 7 जिलों में डीओ के पद रिक्त पड़े हैं। बिना उन के किसी भी प्रकार के सैंपल नहीं लिए जा सकते।

Advertisement
Show comments