पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी, अब तक 3 केस मिले
जिले में पिछले साल के मुकाबले इस बार पराली जलाने की घटनाओं में रिकाॅर्ड तोड़ कमी दर्ज की गई। इसे कृषि विभाग की मुस्तैदी कहें या किसानों की जागरूकता, जो भी हो, लेकिन ये सभी के लिए राहत की बात है, क्योंकि इस बार जिले में मात्र 2-3 आगजनी की घटनाओं को छोड़ दें तो बाकी किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाया है, जो किसानों के लिए फायदे वाला भी साबित हुआ। किसानों ने प्रति एकड़ 3 से 4 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई की, साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने बिना भूमि की उर्वरा शक्ति को बरकरार रखा। कृषि विभाग से मिले आकड़ों के अनुसार अभी तक पराली जलाने के मात्र 3 केस दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले साल पराली जलाने के 70 मामले दर्ज किए गए थे। अभी तक जिले में 80 प्रतिशत फसल कटाई का कार्य पूरा हो चुका है, जबकि 70 प्रतिशत फसल अवशेष प्रबंधन का कार्य पूरा किया जा चुका है।
जिले में 750 अधिकारियों-कर्मचारी फील्ड में रहे
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग करनाल के उप निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए जिलेभर में साढ़े 300 टीमों का गठन किया गया था। इनमें 750 अधिकारी-कर्मचारी शामिल थे, जो गांव दर गांव जाकर किसानों के बीच जागरूकता फैलाने काम कर रहे थे, साथ ही पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में लगे रहे। इसके अलावा जो किसान एक्स सीटू, इन सीटू से फसल अवशेष प्रबंधन करता है उसे 1200 रुपये प्रति एकड़ रुपए अनुदान राशि दी जाती है। इस बार साढ़े 5 लाख एमटी गांठे बनाई गई जो कि औद्योगिक इकाइयों को भेजी गईं। किसान भाइयों ने 17 से 18 रुपए प्रति टन के हिसाब से बेची, जिससे उन्हें 3-4 हजार का अतिरिक्त फायदा हुआ।
