‘गन्ने का दाम 50 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाये प्रदेश सरकार’
गन्ने के दाम मेंे 15 रुपए की बढ़ोतरी करके प्रदेश सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि लागत मूल्य के अनुसार, गन्ने के भाव में कम से कम 50 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि होनी चाहिए थी। गन्ना उत्पादक व...
गन्ने के दाम मेंे 15 रुपए की बढ़ोतरी करके प्रदेश सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि लागत मूल्य के अनुसार, गन्ने के भाव में कम से कम 50 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि होनी चाहिए थी। गन्ना उत्पादक व प्रगतिशील किसान नेता सतपाल कौशिक ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसान विरोधी है, सरकार का चेहरा बेनकाब हो चुका है, वह नहीं चाहती कि किसान खुशहाल हो, उसकी फसल का लाभकारी मूल्य मिले। कौशिक ने कहा की गन्ने की छिलाई कटाई, मिल में गिराई का खर्चा कम से कम 100 रुपए प्रति क्विंटल है और जमीन का ठेका 60000 से लेकर 70000 रुपए तक है ।और गन्ने की फसल को तैयार करने का खर्चा 40000 से लेकर 50000 तक आता है। गन्ने की औसत पैदावार 300 क्विंटल प्रति एकड़ की है, सरकार हिसाब लगाकर देख ले एक गाने की खेती में नुकसान ही नुकसान है। सतपाल कौशिक ने कहा कि हरियाणा की शुगर मिलों को 8 करोड़ क्विंटल गन्ना चाहिए, लेकिन गन्ने की आपूर्ति पिछले काफी समय से पूरी नहीं हो रही है। क्योंकि गन्ने की फसल में पिछले कई वर्षों से नुकसान होने के कारण किसान गन्ने की खेती से दूर होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से सरकार का रवैया गन्ना उत्पादकों के प्रति है इससे यह लगने लगा है कि हरियाणा की शुगर मिले अब ज्यादा समय तक नहीं चलेगी । कौशिक ने कहा कि सहकारी मिलों की तरफ ध्यान दें, जहां भ्रष्टाचार फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि किसान को गन्ने की फसल का लाभकारी मूल्य नहीं मिलेगा तो हरियाणा की सभी 14 की 14 मिले गन्ने के अभाव में पूरे टाइम तक नहीं चल पाएगी। इससे निश्चित रूप से प्रदेश का नुकसान होगा।