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स्कंदमाता प्रेम और ममता की मूर्ति : ब्रह्मानंद सरस्वती

जगाधरी, 3 अप्रैल (हप्र) नवरात्र के अवसर पर प्राचीन सूरजकुंड मंदिर अमादलपुर में चल रही श्रीमद़्देवी भागवत कथा में दंडी स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज ने बताया की पंचम दिवस में मां स्कंदमाता की आराधना होती है। उन्होंने कहा कि स्कंदमाता...
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जगाधरी के प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर में कथा करते ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज। -हप्र
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जगाधरी, 3 अप्रैल (हप्र)

नवरात्र के अवसर पर प्राचीन सूरजकुंड मंदिर अमादलपुर में चल रही श्रीमद़्देवी भागवत कथा में दंडी स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज ने बताया की पंचम दिवस में मां स्कंदमाता की आराधना होती है। उन्होंने कहा कि स्कंदमाता अत्यंत दयालु है और यह प्रेम और ममता की मूर्ति है। स्कंद माता की आराधना करने से संतान की प्राप्ति होती है। मां भगवती दीर्घायु प्रदान करती है। उन्होंने बताया कि देवी भागवत पुराण के अनुसार भोलेनाथ की अर्धांगिनी के रूप में स्वामी कार्तिकेय को जन्म दिया था। स्वामी कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंध है, इसलिए मां दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता कहा गया है। बुराइयों को त्यागना भी किसी व्रत से कम नहीं है और धन्य है वह लोग जो मां दुर्गा की महिमा का गुणगान देवी पुराण में सुनते हैं। देवी पुराण साक्षात मां दुर्गा है। बुद्धिमान व्यक्ति को दूसरों के कल्याण के लिए अपना ज्ञान वितरण करना चाहिए। मंदिर के आचार्य त्रिलोक शास्त्री ने बताया कि मां भगवती के अब तक 41 पाठ से होम हो चुका है, जिसमें 51 ब्राह्मण आहुति प्रदान कर रहे हैं। आश्रम के प्रमाध्यक्ष डाॅ. गुण प्रकाश चैतन्य महाराज ने कहा कि इस संसार में मां के बिना व्यक्ति जीवन अस्तित्व में नहीं है। मां ही जीव का कल्याण करती है। जिस घर में नारी का सम्मान होता है, उस पर हमेशा मां दुर्गा एवं भगवान की कृपा बनी रहती है। वह परिवार धन-धान्य से परिपूर्ण रहते हैं। इस अवसर पर सतीश सैनी, अमित गोयल, यशपाल राणा, सतीश अग्रवाल, धनीराम, जयपाल राणा, हेमंत शाहपुरी अजय तोमर मौजूद रहे।

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