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श्री त्रयंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने प्रयागराज में ली दंडी सन्यास की दीक्षा

जगाधरी, 4 फरवरी (हप्र)प्राचीन सूरजकुंड मंदिर अमादलपुर के परम पूज्य गुरुदेव श्री त्रयंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने मंगलवार को प्रयागराज महाकुंभ में दंड धारण कर संन्यास दीक्षा ली हैं। उनका संन्यास ग्रहण विधि संपादन हो विधि विधान से हुआ। प्राचीन...
प्रयागराज में दंडी संत की दीक्षा लेने के बाद प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर के श्री त्रयंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज। -हप्र
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जगाधरी, 4 फरवरी (हप्र)प्राचीन सूरजकुंड मंदिर अमादलपुर के परम पूज्य गुरुदेव श्री त्रयंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने मंगलवार को प्रयागराज महाकुंभ में दंड धारण कर संन्यास दीक्षा ली हैं। उनका संन्यास ग्रहण विधि संपादन हो विधि विधान से हुआ। प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर के आचार्य त्रिलोक ने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव को संन्यास दीक्षा धर्मसम्राट स्वामी श्री करपात्री जी महाराज के अनन्य कृपा पात्र शिष्य स्वामी श्री धर्मानन्द सरस्वती जी महाराज जी ने दी। श्री त्रयंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज का एक नया नाम श्री ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज होगा।

त्रिलोक ने बताया कि संन्यासी समाज का वो वर्ग होता है जो निस्वार्थ भाव से समाज के कल्याण के लिए काम करता है। मठों और पीठों के सिद्धांतों पर चल कर वो मनुष्य, समाज और जीवन के छोटे-बड़े पहलुओं को समझता है और समाज को संतुलित और व्यवस्थित करने के लिए प्रयत्न करता रहता है। उन्होंने बताया कि दंडी सन्यासी भी उनमें से एक होते हैं। दंडी संन्यासियों का जीवन बहुत कठिन होता है।

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इस अवसर पर श्री प्रबोधाश्रम जी महाराज, श्री माधवाश्रम जी महाराज, श्री गणेशाश्रम जी महाराज, श्री नृसिंह भारती जी महाराज, श्री स्वदेश ब्रह्मचारी जी महाराज, श्री बृजेश चैतन्य जी महाराज, डाॅ. गुण प्रकाश चैतन्य जी महाराज, श्री शिव प्रकाश चैतन्य जी महाराज, राहुल जी महाराज, श्री हरि हर चैतन्य जी महाराज मौजूद रहे।

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