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स्टाफ का टोटा, 2 डाक्टरों के सहारे सैकड़ों मरीज

पिहोवा का सरकारी अस्पताल खुद ही बीमार है। यह अस्पताल इस कदर अपंग बना हुआ है कि अपने ही अंगों के लिए यह तरस रहा है। सबसे दिलचस्प बात है कि इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बढ़ाकर नागरिक अस्पताल बनाया...
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पिहोवा का सरकारी अस्पताल खुद ही बीमार है। यह अस्पताल इस कदर अपंग बना हुआ है कि अपने ही अंगों के लिए यह तरस रहा है। सबसे दिलचस्प बात है कि इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बढ़ाकर नागरिक अस्पताल बनाया गया है। जहां पर 50 बिस्तरों का अस्पताल चल रहा है। अस्पताल में तीन बिल्डिंग बनी हुई है। सभी तीन मंजिला इमारतें हैं। इसमें सैकड़ों कमरे हैं। परंतु अस्पताल में कोई सुविधा ही नहीं है।

विशेषज्ञ चिकित्सक न होने से महिलाएं परेशान

एसएमओ रमा देवी ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर के 11 पद हैं। इनमें से 9 पद खाली हैं। अस्पताल में बाल, शिशु, स्त्री, हृदय रोग का कोई भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। अस्पताल में फार्मासिस्ट की भी कमी है। नर्सिंग स्टाफ के लिए 35 पद हैं। परंतु इनमें 18 पद रिक्त पड़े हैं। इसी तरह सुरक्षा कर्मचारियों की भी भारी कमी है। महिला डॉक्टर न होने के कारण महिला मरीज भी भटकते रहते हैं। अस्पताल में केवल दो डॉक्टर हैं। इन दो डॉक्टरों के ऊपर दो एसएमओ अस्पताल में कार्यरत हैं। एक एसएमओ के पास तो केवल एक कमरा है तथा न हीं एसी न ही कोई चपरासी है। मात्र कुर्सी मेज से ही उनका कार्यालय चल रहा है। कहने के लिए अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट है। परंतु वह भी निर्माण के समय से ही बंद पड़ा है। गर्मी में बिजली जाने के बाद जनरेटर का भी कोई प्रबंध नहीं है।

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