दिव्य रत्नों से भरा सागर है शिवपुराण : स्वामी दिव्यानंद
श्री रघुनाथ मंदिर में पांच दिवसीय शिव पुराण कथा का शुभारंभ श्री रघुनाथ मंदिर में पांच दिवसीय शिव पुराण कथा का शुभारंभ करते हुए डॉ.स्वामी दिव्यानंद महाराज ने कहा कि वेद-पुराण-शास्त्रों को रत्नाकर कहा गया है। जीवन को सजाने संवारने...
श्री रघुनाथ मंदिर में पांच दिवसीय शिव पुराण कथा का शुभारंभ
श्री रघुनाथ मंदिर में पांच दिवसीय शिव पुराण कथा का शुभारंभ करते हुए डॉ.स्वामी दिव्यानंद महाराज ने कहा कि वेद-पुराण-शास्त्रों को रत्नाकर कहा गया है। जीवन को सजाने संवारने के लिए इसमें रत्न हैं, ज्ञानविज्ञान के सूत्र हैं। सदाचार-सद्भक्ति के जीवन सूत्र हैं। केवल सागर तट पर बैठ लहरों का आनंद नहीं लेना होता। रत्न प्राप्ति के लिए मंथन करना होता है, गोता लगाना होता है। कथा सत्संग में भी केवल कव्वालियों के मजे नहीं रहस्य भी जानने होते हैं। तभी निराशा हताशा से मुक्त हो पाएंगे। केवल बाहर का पहरावा ही भक्तों जैसा न हो, भीतर से राग द्वेष ईष्र्या, क्रोध आदि से भी मुक्त होना है।
उन्होंने प्रवचन करते हुए कहा कि शिव यूं तो शमशान में रहते हैं किंतु इतने ठाठ से आनंद में रहते हैं, इतना तो हम बंगलों में भी नहीं रह पाते। सुविधाओं के अभाव में भी शांत जीवन क्या है, यह शिव से सीखें।
इस अवसर पर ध्वजारोहण के साथ पं. राकेश शर्मा द्वारा शिव अभिषेक हुआ। इस मौके पर किट्टू बजाज, नरेश सरदाना, चंद्रभान वधवा, हंसराज ग्रोवर, नरेश निझारा, मेाहित बजाज, प्रदीप नारंग, शुभम मेहंदीरत्ता, गौतम बजाज, सुनील आहुजा, संत लाल झंडई, मोहन लाल नारंग, राकेश मखीजा, नरेंद्र चानना भी उपस्थित थे।

