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तीर्थ यात्रा से बढ़ कर है माता-पिता की सेवा : साहब सिंह खरींडवा

श्री विश्वकर्मा पांचाल समाज सुधार सभा हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष एवं समाजसेवी साहब सिंह खरींडवा ने कहा कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा करते हैं, उन्हें तीर्थ स्थान या धार्मिक स्थान पर जाने की आवश्यकता नहीं है। माता-पिता की...
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बाबैन में श्री विश्वकर्मा पांचाल समाज सुधार सभा हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष एवं समाजसेवी साहब सिंह खरींडवा का स्वागत करते आयोजक। -निस
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श्री विश्वकर्मा पांचाल समाज सुधार सभा हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष एवं समाजसेवी साहब सिंह खरींडवा ने कहा कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा करते हैं, उन्हें तीर्थ स्थान या धार्मिक स्थान पर जाने की आवश्यकता नहीं है। माता-पिता की सेवा स्वयं एक महान तीर्थ यात्रा के समान है। उन्होंने कहा है कि माता-पिता की सेवा, सम्मान और देखभाल करना, ईश्वर की पूजा करने के समान ही फलदायी है। माता-पिता को भगवान का रूप माना जाता है, और उनकी खुशी में ही भगवान की खुशी निहित है। माता-पिता की सेवा में ही ईश्वर की आराधना का फल प्राप्त होता है। उन्होंने यह बात एक धार्मिक कार्यक्रम में कही।

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उन्होंने कहा कि मनुष्य ने समय निकाल कर परमात्मा का सिमरन करना चाहिए। परमात्मा का सिमरन जीवन को बदल देता है और जीवन के सभी कष्टों का स्वयं ही नाश हो जाता है। उन्होंने कहा कि धरती पर कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है।

प्रत्येक मनुष्य के अंदर कुछ न कुछ कमी होती हैं। हमें दूसरों की कमियों को देखने के स्थान पर अपनी कमियों को दूर करना चाहिए। अपने अंदर की कमियों को ज्ञान द्वारा दूर किया जा सकता है। मनुष्य को ज्ञान प्राप्ति सतगुरु की शरण में आने से होती है। इसके लिए मनुष्य को निस्वार्थ भाव से स्वयं को सतगुरु के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छे लोगों की संगत में आने से मनुष्य का जीवन भी संवर जाता है और जीवन के कष्टों का निवारण भी हो जाता है।

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