अधिकारी की लापरवाही पर सेवा आयोग की सख्ती, 15 हजार वसूली का आदेश
हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक मामले की सुनवाई के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) कार्यालय, करनाल में पाई गई गंभीर लापरवाही और अव्यवस्था पर कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि अधीनस्थ कार्यालय के स्टाफ और डीपीओ कार्यालय के बीच समन्वय की कमी और समय पर दिशा-निर्देश न देने के कारण लाभार्थी को योजना का लाभ निर्धारित समय सीमा में उपलब्ध नहीं कराया गया, जिससे हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 का उल्लंघन हुआ।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया आयोग ने जांच में पाया गया कि यह मामला इस बात का उदाहरण है कि अधिकारियों की उदासीनता और जवाबदेही की कमी किस प्रकार नागरिकों को अनुचित कठिनाई में डाल सकती है। आयोग ने डीपीओ कार्यालय की कार्यप्रणाली को अव्यवस्थित बताया और स्पष्ट किया कि कार्यालय प्रमुख की जिम्मेदारी है कि वे समयबद्ध और प्रभावी संचालन सुनिश्चित करें। आयोग ने डीओ-कम डीपीओ, करनाल को अधिनियम के तहत दोषी पाते हुए उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है और अपीलकर्ता को 5 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह राशि उनके सितंबर 2025 के वेतन से काटी जाएगी। जुर्माना राज्य कोषागार में जमा होगा और मुआवजा सीधे अपीलकर्ता के बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाएगा। आयोग ने महानिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिया है कि वे राशि की कटौती और भुगतान सुनिश्चित कर 13 अक्तूबर तक अनुपालन रिपोर्ट आयोग को भेजें। साथ ही, आयोग ने महिला एवं बाल विकास विभाग के महानिदेशक को निर्देश दिया है कि अपीलकर्ता के खाते में योजना की राशि 5 सितंबर तक जमा की जाए तथा फील्ड स्टाफ को ई-कुबेर प्रणाली पर व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, ताकि भविष्य में लाभार्थियों को देरी या असुविधा का सामना न करना पड़े।