परमात्मा के अहसास से सरल होगा आत्ममंथन : माता सुदीक्षा
आत्ममंथन केवल साधारण सोचने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि अपने भीतर झांकने की साधना है जो परमात्मा के अहसास से सरल हो सकती है।’ ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम मे उपस्थित विशाल मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस चार दिवसीय संत समागम में देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग पहुंचे हैं और सौहार्दपूर्ण व्यवहार से मानवता एवं विश्वबंधुत्व का दृश्य साकार कर रहा है।
माताजी ने अंत में कहा कि आत्ममंथन वास्तव में स्वयं के सुधार का मार्ग है। जब मन निरंकार से जुड़ता है, तो भीतर की शांति और बाहर का व्यवहार दोनों दिव्यता से भर जाते हैं।
समागम में आधुनिक तकनीक एवं लाईट्स आदि का इस्तेमाल करते हुए अत्यंत आकर्षक बनाई गई निरंकारी प्रदर्शनी श्रद्धालुओं के आकर्षण का मुख्य केन्द्र बनीं हुई है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रदर्शनी में मुख्य प्रदर्शनी, बाल प्रदर्शनी एवं संत निरंकारी चेरिटेबल फाउंडेशन की प्रदर्शनी-इस तरह तीन भाग बनाये गए हैं।
मुख्य प्रदर्शनी में मिशन का इतिहास, सत्गुरु माता एवं निरंकारी राजपिता की मानव कल्याण यात्राएं इत्यादि का ब्यौरा प्रस्तुत किया गया है जबकि तीन विभिन्न मॉडलों द्वारा संत समागम के मुख्य विषय ‘आत्ममंथन’ पर प्रकाश डाला गया है जिससे श्रद्धालुओं को प्रेरणादायी शिक्षा प्राप्त हो रही है।
बच्चों के लिए शिक्षाप्रद बाल प्रदर्शनी वर्तमान समय में बच्चों के बारे में जिन समस्याओं का पूरे संसार को सामना कर पड़ रहा है उसका यथार्थ हल प्रस्तुत कर रही है जिसका बच्चों के कोमल मनों पर गहरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। निरंकारी मिशन बच्चों को दुनियावी शिक्षा के साथ साथ आध्यात्मिक शिक्षा भी प्रदान कर रहा है। संत निरंकारी चेरिटेबल फाउंडेशन प्रदर्शनी में मिशन की सामाजिक गतिविधियों एवं कार्यों को विभिन्न मॉडलों द्वारा दर्शाया गया है।
