सनातनी संस्कृति, संस्कार और नवाचार हमारी ताकत : ओमप्रकाश धनखड़
झज्जर, 23 मार्च (हप्र)
स्वामी दयानंद ने अपना संपूर्ण जीवन समाज सुधार और ज्ञान से उजाला करने को समर्पित कर दिया। उनकी सुधारवादी विचारधारा से ही स्वदेशी और स्वराज मंत्र मिला। स्वामी जी के इसी मंत्र से प्रेरित होकर देश की आजादी के लिए अनेक देशवासियों ने त्याग और बलिदान दिया। स्वामी जी विचारधारा आज भी हमें नवाचार की ओर अग्रसर करती है। भारत वर्ष की इस समृद्ध परंपरा को गुरुकुल आगे बढ़ा रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव औमप्रकाश धनखड़ ने गुरुकुल झज्जर के 109वें वार्षिक समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि गुरुकुल ने इस क्षेत्र में सनातनी परंपरा और नैतिकता की शिक्षा को निरंतर आगे बढ़ाने का सराहनीय कार्य किया है। धनखड़ ने शहीदी दिवस पर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुख्देव को नमन किया ।
सनातनी शिक्षा के नवाचार से भारत हुआ मजबूत
धनखड़ ने ओमानंद सरस्वती जी ने स्वामी दयानंद जी की विचारधारा के प्रचार प्रसार में अपना जीवन समर्पित कर दिया। ओमानंद जी ने विपरित परिस्थितियों में भी सनातनी परपंरा को आगे बढ़ाने का काम किया। उन्होंने कहा कि मैकाले शिक्षा नीति दूसरों के पीछे-पीछे चलना सिखाती है। हमारे वेद व सनातनी शिक्षा नवाचार और सुधार की ओर अग्रसर करती है। हमारी सरकार केे डिपार्टमेंट ऑफ फ्यूचर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए बजटीय प्रावधान जैसे निर्णय हमें नयी तकनीक और नये ज्ञान के साथ आगे बढ़ने को प्रेरित करते हैं।
संस्कृति, संस्कार और नवाचार हमारी ताकत
धनखड़ ने कहा कि भारत के युवा अपनी संस्कृति और संस्कारों को तकनीक के साथ समावेश आगे बढ़ रहे हैं। यह बढ़ते हुए भारत की असली ताकत है। प्रयागराज महाकुंभ में पूरी दुनिया ने सनातनी संस्कृति को माना और प्रंशसा की। भाजपा की रीति और नीति में सनातनी संस्कृति के साथ राष्ट्र विकास सर्वोपरि है। आज भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। पीएम मोदी के सशक्त नेतृत्व में हर भारतीय का सपना वर्ष 2047 तक विकसित भारत हो अपना। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने संस्कारों और संस्कृति के साथ नवाचार को अपनाएं।
इस अवसर पर सवामी सुमेधानंद, स्वामी प्रणवानंद,गुरुकुल कुलपति डॉ. योगानंद शास्त्री, मंत्री राजबीर छिकारा, महेंद्र सिंह धनखड़, भाजपा जिला अध्यक्ष विकास वाल्मीकि, चेयरमैन कप्तान बिरधाना, चेयरमैन जगदीप, चेयरमैन दीपक, सहित अनेक गणमान्य आचार्य और नागरिक मौजूद रहे।