जाट धर्मार्थ सभा के एक गुट को आरओ ने नहीं दिया साझा चुनाव चिन्ह
18 सितंबर को होना है जाट धर्मार्थ सभा का चुनाव
अर्बन स्टेट कॉलोनी की जाट धर्मशाला की संचालक जाट धर्मार्थ सभा की कार्यकारिणी का चुनाव 18 सितंबर को होना है। दोनों गुटों के बीच मुकाबला आमने-सामने का है। इसमें रिटर्निंग अधिकारी रोहित ढांडा ने ईश्वर उझानिया पैनल को सांझा चुनाव चिन्ह जारी कर दिया है। फूल कुमार मोर के नेतृत्व वाले दूसरे गुट के पैनल को रिटर्निंग अधिकारी ने साझा चुनाव चिन्ह जारी करने से यह कह कर मन कर दिया कि उसके पैनल में पूरे 21 उम्मीदवार नहीं हैं।
जाट धर्मार्थ सभा के लिये 16 पदों पर उम्मीदवार होना जरूरी
रिटर्निंग अधिकारी के अनुसार फूल कुमार मोर के पैनल में प्रधान, उप प्रधान, महासचिव, सचिव और कैशियर के पांच प्रमुख पदों के अलावा कार्यकारिणी के 15 उम्मीदवार हैं, जबकि कार्यकारिणी के पूरे 16 उम्मीदवार होने चाहिए थे। कार्यकारिणी के लिए एक उम्मीदवार कम होने के कारण इस गुट को पैनल नहीं माना गया और साझा चुअव चिन्ह नहीं दिया गया है।
भड़का फूल कुमार मोर का गुट, किया प्रदर्शन
सभा की चुनावी जंग में उतरे फूल कुमार मोर के गुट वाले पैनल के कॉलेजियम सदस्य और जाट धर्मार्थ सभा के आजीवन सदस्य सोमवार को जाट धर्मशाला में जमा हुए। यहां इन लोगों ने रिटर्निंग अधिकारी पर मनमानी और पक्षपात करने के गंभीर आरोप जड़े। बैठक में मौजूद सदस्यों और उनके समर्थकों ने कहा कि रिटर्निंग अधिकारी पूरी तरह से मनमानी पर उतारू हैं। फर्म एंड सोसाइटी एक्ट में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि एक पैनल में सभी उम्मीदवार नहीं होने पर उसे साझा चुनाव चिन्ह नहीं दिया जाएगा।
रिटर्निंग अधिकारी ने अपने घर का नियम बनाकर यह प्रावधान कर दिया कि एक भी उम्मीदवार कम होगा, तो पैनल को पैनल नहीं माना जाएगा, और उसे साझा चुनाव चिन्ह नहीं दिया जाएगा। इस गुट के सदस्यों ने निर्वाचन अधिकारी की इस मनमानी के खिलाफ सोमवार को जींद में फर्म एंड सोसाइटी के जिला रजिस्ट्रार कार्यालय जाकर लिखित शिकायत की। डीसी कार्यालय और सोसायटी के स्टेट रजिस्टर कार्यालय को भी इस मामले में शिकायत की गई।
इस मामले में जाट धर्मार्थ सभा के चुनाव के लिए रिटर्निग अधिकारी नियुक्त किए गए रोहित ढांडा ने कहा कि 9 सितंबर को ही जाट धर्मशाला में नोटिस लगा दिया गया था कि पैनल उसी सूरत में मान्य होगा, जब सभी 21 पदों के लिए उम्मीदवार होंगे। एक गुट के पूरे 21 उम्मीदवार नहीं होने के कारण उसे साझा चुनाव चिन्ह नहीं दिया गया है।
विवादों की संस्था बन गई जाट धर्मार्थ सभा, अब तक नहीं हुए थे चुनाव, अब कब्जे की जंग