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मिरेकल लेडी हैं नरवाना की रासेश्वरी हिंदुस्तानी

पहली भारतीय महिला जिसे हिंदुस्तानी सरनेम आधिकारिक तौर पर मिला
रासेश्वरी हिंदुस्तानी
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नरवाना की रासेश्वरी हिंदुस्तानी को देश-विदेश में एक मिरेकल लेडी अर्थात जादुई महिला के नाम से जाना जाता है। उनकी खासियत है वाॅकिंग-टाॅकिंग मिरेकल। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान के दो आधार हैं। पहला वह एनर्जी ट्रांसफार्मेशन विशेषज्ञ हैं और दूसरा बाडी टाॅक विशेषज्ञ। उनका बैकग्राउंड यूजीसी क्वाॅलिफाइड का रहा है, लेकिन अब 25 साल से वह लोगों को एंग्जाइटी, ट्रॉमा, धन की रुकावट व कॉरपोरेट्स स्ट्रेस से मुक्ति दिलाती हैं। टाॅक-टू योअर बाॅडी अर्थात अपने तन से बात करें, उनका सिग्नेचर प्रोग्राम हैं। इसके जरिए वे लोगों को सिखाती है कि अपने तन से और अंगों से कैसे बात करें, ऐसा करने पर तन और मन में असीम ऊर्जा का अनुभव होता है और व्यक्ति को अपने तन से अनेक व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है। वे इस प्रोग्राम के लिए भारत ही नहीं अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और दुबई तक विख्यात हैं। अनेक काॅलेजों ने उन्हें व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया है। रासेश्वरी के पिता भारतीय सेना में थे, देश प्रेम का माहौल घर में था जो खून में स्वाभाविक रूप से समाहित हो गया। रासेश्वरी बचपन में सोचती थीं कि हम सब एक देश के वासी हैं, फिर हमारी पहचान अलग-अलग जातियों, समुदायों व गौत्रों में विभाजित क्यों है। कोई अपने धर्म के नाम से सरनेम लगाता है तो कोई जाति के नाम पर और कोई माइक्रो लेवल पर जाकर गौत्र के नाम पर अर्थात धर्म, जाति व गौत्र को देश की तुलना में अधिक महत्व मिल रहा है। बस यहीं से रासेश्वरी ने निश्चय किया कि वह मानवता और राष्ट्रप्रेम को सर्वोपरि माने।

रासेश्वरी कहतीं है कि पति ने हर कदम पर उनका साथ दिया। हिंदुस्तानी सरनेम के लिये शपथ पत्र भी बनवाया। गजट नोटिफिकेशन का काम करवाया और डाॅक्यूमेंट्स अपडेट करवाये। उन्हें यह नाम वैधानिक तौर पर मिला, तो लगा कि अब सच्ची पहचान मिली। वह कहती हैं कि हिंदुस्तानी शब्द मात्र नहीं है बल्कि इसमें परफेक्शन अर्थात संपूर्णता है तो साथ ही यह एकरूपता का अहसास भी कराता है। उन्हाेंने बॉम्बे स्टाॅक एक्सचेंज के एक कार्यक्रम में मानद अतिथि के तौर पर भी हिस्सा लिया था। सोशल मीडिया पर पद्मश्री अवाॅरड विजेताओं से जुड़ा एक कार्यक्रम डेयर टू ड्रीम लाइव डायरी के तौर पर प्रसारित किया है। माम सोल सर्किल की संस्थापक हैं, जो माताओं की संस्था है। ये महिलाएं हीलिंग के जरिए डेवलपमेंट का काम करती हैं।

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