बेमौसमी बरसात ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खेतों में जहां धान की तैयार फसल पानी में गिरकर सड़ने लगी है, वहीं मंडियों में खुले में रखी धान की बोरियां भी भीगने से खराब होने लगी हैं। जिन किसानों ने महीनों की मेहनत से फसल तैयार की थी, अब वही फसल मौसम की मार झेल रही है। मंडी परिसर में बरसात के चलते चारों ओर पानी भर गया है। बारिश से किसान अपनी फसल को तिरपाल से ढकने की कोशिश करते रहे, लेकिन तेज बारिश ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। कई स्थानों पर मंडियों में जलभराव के कारण धान की बोरियां पानी में भीग गईं। किसान फसल बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं। खेतों में भी स्थिति कुछ बेहतर नहीं है। जिलों में कटाई का समय चल रहा था, लेकिन अचानक हुई बरसात ने इस प्रक्रिया को रोक दिया है। फसल खेतों में गिर गई है, जिससे दाने में नमी आने का खतरा बढ़ गया है। यदि यही हाल रहा, तो फसल की गुणवत्ता खराब हो सकती है और मंडी में उचित दाम मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।
किसानों का कहना है कि खेतों और मंडियों दोनों जगह उनकी मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। किसान संगठनों ने सरकार से मांग की है कि तुरंत प्रभाव से राहत कार्य शुरू किए जाएं, मंडियों में तिरपाल और पानी निकासी की व्यवस्था की जाए और जिन किसानों की फसलें खराब हुई हैं, उन्हें मुआवजा दिया जाए। किसान अपनी आंखों के सामने अपनी मेहनत को बर्बाद होता देख रहे हैं। यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले समय में अन्नदाता की स्थिति और खराब हो सकती है।
कहां कितने एमएम बारिश
प्रशासन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 7 से 8 अक्तूबर सुबह 8 बजे तक के बीच कैथल में 8 एमएम, गुहला में 5 एमएम, कलायत में 6 एमएम, पूंडरी में 9 एमएम, ढांड में 5 एमएम, सीवन में 2 एमएम और राजौंद में 2 एमएमबारिश दर्ज की गई। बारिश ऐसे समय में हुई जब अधिकांश किसानों ने धान की फसल कटाई करके या मंडी में बिक्री के इंतजार में रखी हुई थी।