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Monuments of Loharu : लोहारू के स्मारकों को सहेजेगा राजस्थान का एनजीओ

Proposal sent to government to develop tourism by preserving monuments
लोहारू में सन् 1771 में हुए युद्ध में शहीद हुए खेतड़ी के महाराजा की यादगार का शिलालेख।- निस
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लोहारू, 5 जरवरी (निस) : करीबन 400 वर्षों के इतिहास को अपने गर्भ में संजोए लोहारू रियासत के स्मारकों (Monuments of Loharu) में जान फूंकने के लिए राजस्थान का एक एनजीओ आगे आया है। इस एनजीओ ने हरियाणा सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है कि सरकार यदि उन्हें मौका दिया जाये तो वे लोहारू को भी आगरा की तरह पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित कर सकते हैं।

Monuments of Loharu State

जयपुर जिला विकास परिषद के अध्यक्ष एवं इतिहासविद् डॉ. उमाशंकर शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान की वीरान पड़ी चंद बावड़ी आभानेरी को राज्य और केंद्र सरकार ने देश के टाॅप पांच स्मारकों में पहुंचा गया है। डॉ.. शर्मा की लोहारू रियासत के इतिहास में इसलिए खास दिलचस्पी है क्योंकि वे इसी लोहारू की माटी में पैदा हुए। रियासत के उत्तरार्द्ध इतिहास का रूबरू गवाहन का मौका भी उन्हें जवानी के दिनों में मिला हुआ है।

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'हवा महल से कम नहीं इतिहास'

उमाशंकर शर्मा ने बताया कि जब वे जयपुर के पास स्थित चंद बावड़ी को देश के नक्शे पर ला सकते हैं तो लोहारू तो उनकी मातृभूमि है। लोहारू रियासत का इतिहास तथा यहां के स्मारक अपने आप में राजस्थान की इस चंद बावड़ी तथा जयपुर के हवा महल से कम नहीं हैं।

Monuments of Loharu State-रणक्षेत्र होता था वाल्मीकि मोहल्ले का क्षेत्र

लोहारू के वाल्मीकि मोहल्ले के पास का सारा क्षेत्र 17-18वीं शताब्दी में ठीक उसी तरह रण क्षेत्र होता था, जैसे पानीपत में युद्ध का मैदान। यहीं पर युद्ध में 5 सितंबर 1771 को खेतड़ी के महाराजा शहीद हुए थे। उनकी शहादत पर बनाए गए स्मारक तथा 1902 में लगाया शिलापट्ट आज सरकारी बेरूखी के कारण मिट्टी में मिलने के कगार पर है जिसे एक किसान ने एक कोने में संभालकर रखा हुआ है। इसी युद्ध में वफादार कुत्ते की समाधि, तालाब आदि अनेक स्मारक आज भी है।

नवाबी काल में बना है किला

नवाबी शासन काल में बनाए गए विशाल एवं भव्य विक्टोरिया स्टाइल के किले की तो बात ही कुछ और है। भले ही सरकार ने इस किले को पुरातत्व विभाग मेें सौंप दिया है लेकिन फिर भी इसका जीर्णोद्धार आज तक नहीं हो पाया है। किले के अंदर अनेक भव्य वास्तुकला एवं शिल्पकलाओं के नमूने नष्ट हो चुके हैं तथा बाकी होने के कगार पर हैं। डॉ. उमाशंकर ने सरकार से आग्रह किया कि उनका एनजीओ लोहारू के स्मारकों के संरक्षण एवं लोहारू को पर्यटन क्षेत्र बनाने में सहयोग के लिए तैयार है ।

डॉ. उमाशंकर शर्मा

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