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सकारात्मक चिंतन रचता है सृजन का शिखर : स्वामी ज्ञानानंद

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस चंडीगढ़, 5 जुलाई गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद का कहना है कि सकारात्मक चिंतन से सृजन का नया शिखर रचा जा सकता है। हमारे विचार ही हमारा व्यक्तित्व रचते हैं। मनुष्य सिर्फ आकृति नहीं है, उसकी पूर्णता...
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

चंडीगढ़, 5 जुलाई

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गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद का कहना है कि सकारात्मक चिंतन से सृजन का नया शिखर रचा जा सकता है। हमारे विचार ही हमारा व्यक्तित्व रचते हैं। मनुष्य सिर्फ आकृति नहीं है, उसकी पूर्णता विचार में है। किसी को ठोकर में लगने वाला पत्थर कलाकार की दृष्टि से पूजनीय रूप धारण कर लेता है। माली के हुनर से व्यर्थ पड़ी गुठली विराट वृक्ष का रूप धारण कर लेती है।

स्वामी ज्ञानानंद सेक्टर-16 स्थित पंजाब कला भवन के सभागार में साहित्यकार, पत्रकार, चिकित्सक डॉ. चंद्र त्रिखा के 80वें जन्मदिन पर, पुस्तक ‘सृजन के शिखर-डॉ चंद्र त्रिखा’ के विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में अकसर मौन में भी उपदेश होता है, मुस्कान में भी उपदेश होता है। वे डॉ. त्रिखा और हरियाणा के मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव राजेश खुल्लर के समारोह में ज्यादा कुछ न कहने पर अपनी यह अभिव्यक्ति दे रहे थे। राजेश खुल्लर ने समारोह में औपचारिक संबोधन से परहेज किया। उन्होंने बदलते वक्त के साथ सृजन की चुनौतियों और आधुनिक तकनीक के प्रयोग से सृजन के उदाहरण देकर चौंकाया।

इससे पहले, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. लालचंद गुप्त मंगल ने डॉ. त्रिखा की सृजन यात्रा का विहंगम परिदृश्य उकेरा और उनकी कृतियों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने उनके जीवन के ज्ञात-अज्ञात पक्षों पर प्रकाश डाला। खासकर विभाजन की टीस पर केंद्रित रचनाओं का उल्लेख किया। केंद्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने अपनी सृजन यात्रा में डॉ. त्रिखा के योगदान का स्मरण किया और उनकी राष्ट्रीय पहचान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि डॉ. त्रिखा ने वर्जनीय से वर्जन तक और वंदनीय से वंदन तक लिखा। कौशिक ने अन्य राज्यों में मिले पुरस्कारों का उल्लेख किया। पुस्तक की लेखिका सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी व साहित्यकार सुमेधा कटारिया ने अबोहर से शुरू हुई सृजन यात्रा में डॉ. त्रिखा के योगदान का जिक्र किया और कहा कि एक व्यक्ति रूप में विशिष्टता उनका उल्लेखनीय पक्ष है। अन्य वक्ताओं में वरिष्ठ पत्रकार ओंकार चौधरी, साहित्यकार व शिक्षाविद् शमीम शर्मा, डॉ. सुमिता वशिष्ठ, डॉ. विजेंद्र शामिल थे।

उल्लेखनीय है कि सुमेधा कटारिया द्वारा लिखित व केंद्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा संपादित पुस्तक डॉ. त्रिखा की साढ़े छह दशक की सृजन व पत्रकारिता की यात्रा के साथ उनके जीवन के छुए-अनछुए पहलुओं पर विहंगम दृष्टि डालती है।

इस मौके पर मुख्य अतिथि व वक्ताओं को सम्मानित किया गया। संचालन डॉ. मोहित गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, करनाल, कैथल समेत हरियाणा व पंजाब से साहित्य प्रेमियों ने भागेदारी की।

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