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पानीपत के टेक्सटाइल उद्योग का निर्यात 40 प्रतिशत गिरा

ट्रंप के टैरिफ की मार
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ट्रंप सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ की मार टेक्सटाइल उद्योगों के लिए असहनीय साबित हो रही है। टेक्सटाइल निर्यात में पहले ही आर्डर कम चल रहे थे। टैरिफ के चलते 40 प्रतिशत निर्यात में कमी आने बात यहां के निर्यातक कर रहे हैं। टैरिफ के लागू होने से भारतीय कपड़ा अमेरिकियों को महंगा पड़ेगा। इसीलिए भारत को आर्डर कम मिलेंगे। हाल ही में कई उद्यमियों के आर्डर तक रद्द हो गए हैं। इस बारे में कई निर्यातकों ने बताया कि टैरिफ का लाभ चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान को मिलना तय है। पानीपत में टैरिफ 19 प्रतिशत, बांग्लादेश में 20 प्रतिशत, वियतनाम में 20 प्रतिशत, फिलिपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया में 19 प्रतिशत टैरिफ अमेरिका ने लागू किया हुआ है। निर्यातकों ने बताया कि भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लागू होने का फायदा चीन को भी मिलेगा। चीन ने टैरिफ लागू होने पर अपने उद्योग मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलिपींस और वियतनाम में शिफ्ट कर दिए। चीन को इसका सीधे लाभ मिलेगा।

विदेश में उद्योग नहीं लगा सका भारत

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टैरिफ के लागू होने के पहले भारत विदेश में अपने यूनिट नहीं लगा पाया। आगे भी भारतीय व्यापारी विदेश में इंवेस्टमेंट से हिचक रहे हैं। फाॅरन इंवेस्टमेंट में सरकार के सख्त रवैये के साथ ही ईडी केसों की बहुतायत होने के कारण भारतीय कारोबारी देश के बाहर उद्योग नहीं लगा पा रहे हैं। उद्यमी फाॅरन इंवेस्टमेंट से बचते आ रहे हैं। हालांकि अफ्रीकी देश सस्ता कच्चा माल, सस्ती बिजली और उद्योगों के लिए सौहार्दपूर्ण संबंधों के बावजूद भारत के कारोबारी इसका लाभ नहीं ले पा रहे। इन देशों में भारतीयों द्वारा लगाए गए उत्पादन यूनिटों के लिए भारत से ही लेबर लेकर जाने पर भी कोई पाबंदी नहीं है।

घरेलू मार्केट भी होगी प्रभावित

जानकारों ने बताया कि पानीपत से वार्षिक 35 हजार हजार करोड़ का टेक्सटाइल निर्यात होता है। साथ ही करीब 45 हजार करोड़ की घरेलू मार्केट है। अब विशेषज्ञ मान रहे हैं कि टेक्सटाइल निर्यात में 40 फीसदी गिरावट आ सकती है। वहीं जानकार निर्यातकों का कहना है कि इसका घरेलू मार्केट में भी असर पड़ेगा। जो उद्योग 40 प्रतिशत टेक्सटाइल का उत्पादन निर्यात के लिए करते है साथ ही 60 प्रतिशत घरेलू मार्केट के उत्पादन करते हैं, उन्हें अब 60 प्रतिशत उत्पादन के लिए उद्योग चलाने होंगे। जिससे उनकी उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। इससे घरेलू उत्पादन प्रभावित होने से उपभोक्ताओ को महंगा उत्पाद लेने के लिए तैयार रहने होगा

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