फसल खराबे का मुआवजा डकार गए अफसर, किसानों ने किया डीसी कार्यालय पर प्रदर्शन
जिले में 2021 में जलभराव और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसलों के मुआवजे के लाखों रुपये के गबन के मामले को लेकर पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति ने डीसी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व जिला प्रधान ओमप्रकाश हसंगा ने किया।
इसके बाद किसान संघर्ष समिति ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर इस गड़बड़झाले की जांच करवाने और पीड़ित किसानों को जल्द मुआवजा दिए जाने की मांग की है। किसान संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हुई और किसानों को मुआवजा नहीं मिला तो वे सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।
इस अवसर पर जिला प्रधान के साथ वरिष्ठ किसान नेता रविन्द्र हिजरावां, ब्लाक सचिव रामपाल, गोपी माजरा रोड सहित काफी संख्या में किसान मौजूद रहे। पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के प्रधान ओमप्रकाश हसंगा ने बताया कि वर्ष 2021 में फतेहाबाद, भूना व भट्टू ब्लाक के गांव चिन्दड़, बड़ोपल, खाराखेड़ी, खजूरी जाटी कुम्हारिया सहित 20 गांवों में जलभराव और सूंडी के कारण किसानों की नरमा की फसला खराब हो गई थी।
इस पर सरकार ने गिरदावरी करवाकर वर्ष 2022 में मुआवजा वितरण सूची जारी की। गिरदावरी का काम पटवारी, कानूनगो, तहसीलदार की टीम द्वारा किया गया। इन अधिकारियों ने मिलकर जिन किसानों की फसल खराब हुई थी, उनका नाम सूची से निकाल दिया और जिन किसानों की न जमीन है और न ही फसल खराब हुई है, ऐसे लोगों के खाते में मुआवजे के पैसे डालकर गोलमाल किया है। किसान नेताओं का आरोप है कि पटवारी व सहायक ने पेमेंट अपने रिश्तेदारों, परिवारजनों व चहेतों के खातों में ट्रांसफर करवा दिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि पटवारी अजीत ने अपनी बेटी और धर्मपत्नी के खाते में पैसे डालकर भारी गोलमाल किया है। उन्होंने कहा कि यदि मुआवजा पात्रों की पूरी सूची की गहनता से जांच की जाए तो लाखों रुपये का गबन सामने आ सकता है। पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर इस मामले की गहनता से जांच करवाने, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और सही पीडि़त किसानों को मुआवजा राशि का जल्द वितरण करने की मांग की है।
याद रहें कि 2021 में आए मुआवजे के वितरण को लेकर काफी गोलमाल हुआ था। इस मामले में मुख्यमंत्री उड़न दस्ते ने भी छापेमारी की थी, लेकिन अभी तक इस मामले की जांच ही चल रही है। जबकि किसान अनेकों बार जिला प्रशासन को प्रमाण सहित मांग कर चुके है कि किसानों का मुआवजा डकारने वाले अफसरों पर कारवाई की जाए।