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गुहला चीका नपा उपाध्यक्ष पूजा शर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित

जीत सिंह सैनी/निस गुहला चीका, 3 जुलाई नगर पालिका की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। उपाध्यक्ष पूजा शर्मा के खिलाफ पार्षदों द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव बृहस्पतिवार को पारित हो गया। बैठक में 12 पार्षद शामिल हुए और सभी...
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जीत सिंह सैनी/निस

गुहला चीका, 3 जुलाई

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नगर पालिका की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। उपाध्यक्ष पूजा शर्मा के खिलाफ पार्षदों द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव बृहस्पतिवार को पारित हो गया। बैठक में 12 पार्षद शामिल हुए और सभी ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। दूसरी तरफ बैठक में चेयरपर्सन रेखा रानी, उपाध्यक्ष पूजा शर्मा तथा उनके समर्थक पार्षदों ने भाग नहीं लिया। अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद पूर्व विधायक कुलवंत बाजीगर ने इसे विकास की जीत करार देते हुए कहा कि अगला कदम चेयरपर्सन रेखा रानी को हटाने का होगा।

हाईकोर्ट में दी चुनौती, 8 को सुनवाई

बृहस्पतिवार एक तरफ जहां अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मतदान हो रहा था, वहीं दूसरी तरफ उपाध्यक्ष पूजा शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को गैर संविधानिक बताया। चंडीगढ़ से उपाध्यक्ष पूजा शर्मा और उनके पति भाजपा नेता राजीव शर्मा ने फोन पर बताया कि उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के स्थानीय निकाय विभाग को नोटिस जारी करते हुए 8 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की है। राजीव शर्मा ने बताया कि वार्ड नंबर 14 के पार्षद जितेंद्र कुमार के खिलाफ वोट के बदले नोट मांगने के आरोप में एंटी करप्शन ब्यूरो अंबाला ने 20 जून को केस दर्ज किया था। इसी आधार पर 1 जुलाई को लोकल बॉडीज विभाग के डायरेक्टर पंकज कुमार ने जितेंद्र कुमार को सस्पेंड कर दिया था, जिससे वह मतदान के अयोग्य हो गए थे। हालांकि 2 जुलाई को हरियाणा सरकार के सचिव एवं कमिश्नर विकास गुप्ता ने जितेंद्र कुमार के निलंबन पर आगामी आदेशों तक रोक लगा दी, जिससे वह मतदान में शामिल हो सके। राजीव शर्मा ने इस त्वरित निर्णय पर सवाल खड़े करते हुए इसे संदेहास्पद बताया और इसी आधार पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

एक वोट से पलट सकती थी बाजी

विशेष बात यह रही कि अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए कम से कम 12 पार्षदों का समर्थन आवश्यक था और जितेंद्र कुमार की सदस्यता रद्द रहने की स्थिति में विपक्षी खेमे के पास सिर्फ 11 वोट ही रह जाते, जिससे प्रस्ताव विफल हो सकता था। ऐसे में उनके निलंबन पर लगी रोक ने पूरी बाजी पलट दी।

गुप्त मतदान से हुआ फैसला

बैठक का संयोजन कर रहे म्युनिसिपल कमिश्नर सुशील कुमार ने दोपहर 12 बजे तक सभी पार्षदों की प्रतीक्षा की, लेकिन जब 12 पार्षदों के अतिरिक्त कोई नहीं आया तो उन्होंने कार्रवाई प्रारंभ की। सभी पार्षदों को एक-एक बैलेट पेपर दिया गया, जिस पर पक्ष और विपक्ष के दो विकल्प थे।

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