रावण की भूमिका में नरेंद्र कुकरेजा, लक्ष्मण में रामप्रकाश होंगे आमने-सामने
नरवाना में लम्बे अरसे से पारम्परिक तौर पर रामलीला का मंच हो रहा है, पहले नरवाना में चार-पांच रामलीलाएं अलग-अलग समूह द्वारा की जाती थी पर पिछले कई सालों से एक ही रामलीला हो रही थी पर इस बार नरवाना में दो रामलीलाओं का आयोजन हा रहा है। जहां रामलीलाएं लम्बे समय से हो रही है वहीं इसमें अभिनय करने वाले कलाकार भी काफी लम्बे समय से अपने-अपने पात्रों को निभा रहे हैं, आइए मिलते हैं, रामलीला में अभिनय करने वाले कुछ कलाकारों से :
लक्ष्मण बनकर छा रहे रामप्रकाश
नरवानाा की ऐतिहासिक रामलीला में इस बार लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले रामनगर निवासी रामप्रकाश लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। 32 वर्षीय रामप्रकाश उर्फ प्रताप पेशे से पटवारी हैं और हिसार जिले में कार्यरत हैं। दिनभर की सरकारी ड्यूटी पूरी करने के बाद शाम 9 बजे से रात 12 बजे तक वह रामलीला के अभ्यास में जुट जाते हैं। मंचन के समय उनका समर्पण और अभिनय देखकर दर्शक भावविभोर हो उठते हैं और जय श्रीराम के गगनभेदी नारे गूंजने लगते हैं। रामप्रकाश ने 2008 में रामलीला मंचन की शुरुआत अंगद के किरदार से की थी। इसके बाद 2011 से 2015 तक उन्होंने शूर्पणखा, सुमित्रा और उर्मिला जैसे विविध भूमिकाओं को जीवंत किया। वर्ष 2016 से वह लगातार लक्ष्मण की भूमिका निभा रहे हैं। दर्शक उन्हें खासतौर पर इस रूप में बेहद पसंद कर रहे हैं क्योंकि उनके अभिनय में लक्ष्मण का गुस्सा, भाई श्रीराम के प्रति अटूट प्रेम और भाभी सीता के प्रति आदर भाव साफ झलकता है।
राकेश सेतिया बनेंगे मंथरा
राकेश सेतिया उर्फ निटा पिछले करीब चार दशकों से रामलीला मंचन में मंथरा का किरदार निभाकर लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब तक मंथरा का दृश्य मंच पर न दिखाया जाए, तब तक दर्शकों को रामलीला अधूरी लगती है। रामलीला देखने आने वाले दर्शकों का कहना है कि राकेश सेतिया का किरदार इस भव्य आयोजन की जान है। हर साल लोग बेसब्री से उनके अभिनय का इंतजार करते हैं और जब वह मंच पर आते हैं तो तालियों और हंसी-ठहाकों से पूरा माहौल गूंज उठता है। करीब 56 वर्षीय राकेश सेतिया ने 16 साल की उम्र से ही रामलीला मंचन में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। अभिनय के अलावा राकेश सेतिया पेशे से कैमरामैन हैं और शहर में घड़ी रिपेयर की दुकान भी चलाते हैं।
रावण की भूमिका को जीवंत करते हैं नरेंद्र कुकरेजा
रावण एक अति विद्धान, महाबलशाली होने के साथ-साथ भगवान शंकर का सबसे बडा भक्त भी था। लेकिन इस किरदार को निभाना आसान नहीं है। पंजाबी चौक नरवाना के रहने वाले नरेंद्र कुकरेजा को बचपन से ही रंगमंच का शौक रहा है। वे पौराणिक भूमिकाओं में ढलना चाहते थे। इसलिए 1990 में रामलीला मंचन से जुड़ गये। रंगमंच की बारीकियां सीखते हुए उन्होंने समय-समय पर लक्ष्मण, मेघनाथ व परशुराम की भूमिकाएं निभाई। पिछले चार वर्षों से महाबली रावण की भूमिका निभा रहे हैं। नरेन्द्र कहते हैं कि यह सब श्रीराम का ही आशीर्वाद है, जो उन्हें रामलीला में भूमिकाएं निभाने का सौभाग्य मिला है। उनके साथ भूमिकाएं निभाने वाले अन्य कलाकार भी उनकी भूमिका के कायल हैं। भूमिका के साथ-साथ वे अच्छे व्यवस्थापक भी हैं। वे रामलीला के उप प्रधान का दायित्व भी बाखूबी निभा रहे हैं।
रामनिवास जैन का जोश अब भी बरकरार
पिछले पचास वर्षों से रामनिवास जैन लगातार मंच से जुड़े हुए हैं। विश्वामित्र, बूढ़ा मारीच और परशुराम जैसे किरदारों को उन्होंने इस तरह जिया है कि दर्शक उन्हें असली रूप में देखने का अनुभव करते हैं। उनकी संवाद अदायगी और चेहरे पर उमड़ती भाव-भंगिमाएं हर बार दर्शकों को रामयुग की याद दिला देती हैं। यही कारण है कि स्थानीय लोग मानते हैं कि नरवाना की रामलीला रामनिवास जैन के बिना अधूरी है। रामनिवास जैन के मंच पर आते ही उनका व्यक्तित्व पूरी तरह बदल जाता है। जब वे तपस्वी विश्वामित्र बनते हैं तो उनकी गंभीरता और वाणी का तेज दर्शकों को प्रभावित कर देता है। बूढ़े मारीच के रूप में छल और धूर्तता से भरा उनका अभिनय दर्शकों को चौंका देता है। वहीं, जब वे परशुराम बनकर मंच पर आते हैं तो उनके जोशीले और तेजस्वी रूप से रामलीला का वातावरण गूंज उठता है। व्यवसाय से रामनिवास जैन मंडी में आढ़त का काम करते हैं और कमीशन एजेंट भी हैं।
पिता-पुत्र की जोड़ी भी आकर्षण का केंद्र
अभिनय कला में दक्ष नरवाना के पिता-पुत्र की जोड़ी के बिना रामलीला का मंचन अधूरा सा लगता है। पिता श्याम सुंदर व पुत्र विशाल शर्मा अभिनय, गायन और संगीत के क्षेत्र में अद्वितीय हैं। श्याम सुंदर शर्मा कला निर्देशक के रूप में भी अपना जौहर दिखाते हैं। नरवाना के अनेक कलाकार इनके शागिर्द रहे हैं। ये 1978 से रामलीला से जुडे हैं और श्री रामा भारतीय कला केंद्र के स्थायी सदस्य हैं। दशरथ, राम, भरत, कौशल्या, मारीच, अहिरावण, खर, भीलनी इत्यादि न जाने कितनी भूमिकाओं को इन्होंने जीवंत किया है। इनका संगीत अध्यापक पुत्र विशाल गायन के क्षेत्र में विख्यात हैं। जब वे राम का चरित्र निभाते हैं तो वे पूर्ण शुचिता का पालन करते हैं। उनका अभिनय दर्शकों को भाव विभोर कर देता है। कुरुक्षेत्र को अपनी कर्मस्थली बनाने के पश्चात भी वह नरवाना के श्रीरामा भारतीय कला केन्द्र से लगातार जुड़े हुए हैं।