केंद्रीय मंत्री
भारतीय राजनीति में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऐसे महामानव थे जिन्होंने सत्ता को साध्य नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम माना। उनका सिद्धांत था कि राष्ट्र निर्माण की कसौटी वही है, जब विकास की किरण अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचे। ‘अंत्योदय’ उनके लिए केवल विचार नहीं, बल्कि जीवन का मंत्र था। आज उनकी 109वीं जयंती पर यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अंत्योदय दर्शन को शासन का मूल आधार बनाया। 26 मई 2014 को देश की बागडोर संभालते ही मोदी ने गरीबों को मुख्यधारा से जोड़ने का संकल्प लिया। 15 अगस्त 2014 को लाल किले से ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ की घोषणा कर 56 करोड़ बैंक खाते खोले गए, जिससे वित्तीय समावेशन का नया अध्याय शुरू हुआ। गरीब परिवारों तक रसोई गैस पहुंचाने वाली ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ ने माताओं-बहनों को धुएं से मुक्ति और सम्मान दिया। कोरोना काल में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ से 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया गया, जिसका विस्तार जनवरी 2029 तक कर दिया गया है। स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु ‘आयुष्मान भारत’ ने गरीबों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया। ‘किसान सम्मान निधि’ से 11 करोड़ किसानों को हर साल 6 हजार रुपये सीधे मिले। आवास, जल जीवन मिशन और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं ने अंतिम व्यक्ति तक विकास का प्रकाश पहुंचाया। आज ‘ड्रोन दीदी’ जैसी पहल गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर ‘लखपति दीदी’ का नया मॉडल प्रस्तुत कर रही है।
भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि समावेशी विकास का उदाहरण भी है। यह सिद्ध करता है कि जब नेतृत्व का केंद्र समाज का सबसे कमजोर वर्ग हो, तो विकास आंकड़ों से आगे बढ़कर जीवन में बदलाव लाता है।