लाखों रुपये छोड़ लिया शगुन का एक रुपया
आज के समय में जहां विवाह-शादियों में दिखावे की होड़ बढ़ती जा रही है, वहीं दरियापुर गांव के सिंवर परिवार ने सादगी और संस्कारों की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसकी चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही है। दड़बाकलां से बैनीवाल परिवार अपनी बेटी सीमा के घर भात (मायरा) भरने पहुंचे, लेकिन जब भात की मुख्य रस्म का समय आया तो सिंवर परिवार ने लाखों रुपये छोड़ मात्र एक रुपये का शगुन स्वीकार कर सबका दिल जीत लिया। यह भात अमिलाल बैनीवाल के परिवार की ओर से भरा गया था। उनकी पौत्री सीमा की पुत्री नेहा के विवाह के अवसर पर मायरे की परंपरागत रस्म के लिए दड़बा कलां से विधायक भरत सिंह बैनीवाल, अमर सिंह बैनीवाल, जिलाध्यक्ष संतोष बैनीवाल, नंदलाल बैनीवाल, चंद्रभान बैनीवाल, भीम, ओमप्रकाश, अभय सिंह, रोहताश, शुभेसिंह, बलवंत सहित गांव की लगभग 250 महिलाएं व पुरुष पूरे उत्साह के साथ दरियापुर पहुंचे। ढोकल भरकर पहुंचा बैनीवाल परिवार पारंपरिक वाद्य-यंत्रों के साथ बड़ी धूमधाम से बारात जैसी रौनक लेकर आया। भात की रस्म के दौरान सीमा के पति रवि सिंवर, पुत्र विजय सिंह सिंवर ने अनोखी मिसाल पेश करते हुए किया कि वे भात में दिए जाने वाले लाखों रुपये स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने परंपरा अनुसार मात्र एक रुपये का शगुन लेकर सामाजिक संदेश दिया कि बहन-भाई का संबंध पैसे से नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और सद्भाव से मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि आजकल दिखावे की वजह से कई परिवार कर्ज़ के बोझ में दब जाते हैं, ऐसे में समाज को फिजूलखर्ची रोकने और सादगी को बढ़ावा देने की जरूरत है। भात भरने आए बैनीवाल परिवार ने परंपरा के अनुसार अपनी बेटी सीमा को वस्त्र व अन्य आवश्यक सामग्री भेंट की। पूरे कार्यक्रम में सादगी, आपसी प्रेम और अपनापन देखने को मिला। सिंवर परिवार के इस कदम की गांव-समाज में खूब सराहना की जा रही है। इस दौरान सरपंच संतोष बैनीवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पिछले पंचायत चुनाव के समय अमीलाल बैनीवाल की अगुवाई में दड़बा कलां के बैनीवाल परिवार को एकजुट किया गया। इसके बाद से सभी सामाजिक कार्यों में ढोंकल परिवार के सदस्य मिल-जुलकर भाग ले रहे हैं। जिलाध्यक्ष संतोष बैनीवाल ने कहा कि ऐसे कार्य समाज को नई दिशा देते हैं। जहां लोग शादियों में दिखावे के नाम पर लाखों-करोड़ों खर्च करते हैं, वहीं सिंवर परिवार ने यह सिद्ध कर दिया कि असली संपत्ति रिश्तों की पवित्रता है, न कि धन का प्रदर्शन। दड़बा कलां से पूरा बैनीवाल परिवार और गांव की बड़ी संख्या में महिलाएं-पुरुष अपनी बहन का मायरा भरने पहुंचे और रस्म पूरी की।
