करोड़ों की जमीन यमुना में विलीन
यमुनानगर में बाढ़ के चलते इस बार करोड़ों की जमीन यमुना में समा गई। अकेले यमुनानगर में 20 से अधिक गांवों में यमुना के पानी ने भूमि कटाव किया। इस दौरान यमुना किनारे खड़ी फसलें यमुना में समा गईं। इस भूमि कटाव के चलते गांव कमालपुर टापू और पाबरी में पानी आबादी की तरफ पहुंचने लगा था, लेकिन ग्रामीण और सिंचाई विभाग के कर्मचारियों ने जहां उसे रोकने में सफलता पाई तो वहीं पानी का बहाव भी कम होने से खतरा फिलहाल टल गया। सिंचाई विभाग के सुपरीटेंडेंट इंजीनियर आरएस मित्तल ने बताया कि जिन 20 गांवों में भूमि कटाव हुआ था, उनमें से 1-2 को छोड़कर बाकी जगह काम पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल पानी आने की उम्मीद कम है। सिंचाई विभाग ने हालांकि और पानी आने की संभावना से इनकार किया है, लेकिन जो हालात यमुना के साथ लगते गांव के हैं, वहां अगर दोबारा पानी आता है तो भारी नुकसान हो सकता है।
इस बार 1 सितंबर को भारी वर्षा के बाद हथिनीकुंड बैराज के सभी गेट 1 से 4 सितंबर तक लगातार 105 घंटे तक खुले रहे, जिसके चलते जहां यमुनानगर में 20 गांव में भूमि कटाव हुआ तो वहीं दिल्ली को भी कई दिन तक बाढ़ का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि जिन गांवों में भूमि कटाव हुआ वहां सिंचाई विभाग ने मिट्टी के कट्टे भरकर और पेड़ की टहनियों काटकर भूमि कटाव रोका है। अगर बारिश और पानी अधिक आ जाता है तो यह इंतजाम धरे के धरे रह जाएंगे और पहले से कहीं अधिक नुकसान हो सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह अस्थाई इंतजाम है। सरकार और विभाग को पक्के इंतजाम करने चाहिए, ताकि हर वर्ष बाढ़ में हमारी करोड़ की भूमि यमुना में न समा जाए।
बीबीपुर में नदी के किनारों की मरम्मत की मांग
जगाधरी (हप्र) :
बूड़िया के गांव बीबीपुर से यमुना नदी का फासला लगातार कम हो रहा है। नदी में बाढ़ आने पर यहां के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इस बार दर्जनों एकड़ कृषि योग्य भूमि यमुना नदी की भेंट चढ़ गई। पूर्व सरपंच अरशद पोसवाल, नंबरदार फुरकान, पूर्व सरपंच मारूफ, हाजी असलम, कौशल, मुस्तकीम, इमरान, मुबारक व जरनैल सिंह की लगभग 30 एकड़ जमीन कटाव से खत्म हो गई। पूर्व सरपंच अरशद पोसवाल व जब्बार पोसवाल का कहना है कि भूमि कटाव के चलते लाखों रुपये का पॉपुलर बह गया। कटाव के चलते यमुना से गांव की दूरी 3 एकड़ रह गई है। अरशद पोसवाल का कहना है कि सोम नदी में पानी कम होने व यमुना में बढ़ने से उनके गांव का रकबा निशाने पर होता है। गांव से मंडोली तक नदी के किनारे की ठोस मरम्मत होनी चाहिए।