कश्मीरी हिंदुओं के निमित्त होगा कृष्ण-कश्यप कुरुक्षेत्र तीर्थाटन
कश्मीर में धर्म की पुनः स्थापना एवं कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास की कामना के निमित्त रविवार को धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में कुरुक्षेत्र-कश्यप तीर्थाटन-2025 का आयोजन किया जाएगा।
कश्मीरी हिंदू प्रकोष्ठ हरियाणा के तत्वावधान में गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित होने वाले इस समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मुख्यातिथि होंगे, जबकि स्वामी ज्ञानानंद समारोह की अध्यक्षता करेंगे।
शनिवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता में कश्मीरी हिंदू प्रकोष्ठ हरियाणा के संरक्षक पंकज धर ने बताया कि इस समारोह में देशभर से कश्मीरी हिंदू भाग लेंगे। हवन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ होगा। कश्मीरी हिंदू परिवारों के लोग अपनी संस्कृति को सहेजने एवं देश के दूसरे लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे।
प्रकोष्ठ के मीडिया प्रभारी अमित रैना ने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं के साथ अन्याय हुआ है। इस विश्व में न्याय की स्थापना करने वाले भगवान श्रीकृष्ण की धरती पर हम सब उनसे कामना करेंगे कि वह फिर से कश्मीर में धर्म की स्थापना करने और कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास के निमित्त बनकर आएं। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने बताया कि इस समारोह में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की भी सहभागिता होगी। इसमें विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी भी भागीदारी करेंगे। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम संस्कार व संस्कृति का पुनर्जागरण है। यह हमारा सौभाग्य है कि यह कार्यक्रम कुरुक्षेत्र में हो रहा है।
मीडिया प्रभारी अमित रैना ने बताया कि इस आयोजन का विशेष केंद्रबिंदु रानी यशोमती संबंध होगा एक ऐसा विषय जो कश्मीर को भारतवर्ष में पार्वती की पावन भूमि के रूप में रेखांकित करता है। यह कार्यक्रम भक्ति एवं सांस्कृतिक संगम के रूप में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें श्रद्धालु, शिक्षाविद, विद्वान, वैज्ञानिक, कलाकार और युवा एकत्र होकर सामूहिक प्रार्थना और उत्सव करेंगे। कश्मीरी हिंदू प्रकोष्ठ के प्रवक्ता संजय घारू ने कहा, ‘रानी यशोमती संबंध के माध्यम से श्रीकृष्ण की कृपा का आह्वान करते हुए हम करुणा, साहस और सत्य की विजय में अपना विश्वास नवीनीकृत करते हैं। सामूहिक कृष्ण भक्ति एवं संकीर्तन श्रीकृष्ण को समर्पित भजन और प्रार्थनाएं, कश्मीर में शांति और सद्भाव के लिए आशीर्वाद की कामना। नाट्य प्रस्तुति, जो भारत की आध्यात्मिक और सभ्यतागत धारा में कश्मीर की पावन भूमिका को प्रदर्शित करेगी। विद्वानों, चिंतकों और सामुदायिक वरिष्ठों के व्याख्यान, जिनका केंद्र सभ्यता की निरंतरता, धर्माचरण और वापसी के मार्ग होंगे। एक सामूहिक प्रतिज्ञा कि हम एकता बनाए रखेंगे, समाज की सेवा करेंगे और कश्मीरी हिंदुओं की गरिमामय वापसी के अनुकूल परिस्थितियां निर्मित करेंगे।’