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न्याय में विवेक और करुणा आवश्यक : न्यायाधीश मिनी पुष्करना ने रखे विचार

 दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश मिनी पुष्करना ने कहा कि न्याय में विवेक और करुणा का समावेश जरूरी है।  बिना विवेक के न्याय केवल एक मशीन की तरह है। उन्होंने बताया कि विजडम का अर्थ सबके प्रति प्यार और करुणा...

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न्यायाधीश मिनी पुष्करना गुरुग्राम में सम्मेलन के दौरान संबोधित करती हुई।-हप्र
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 दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश मिनी पुष्करना ने कहा कि न्याय में विवेक और करुणा का समावेश जरूरी है।  बिना विवेक के न्याय केवल एक मशीन की तरह है। उन्होंने बताया कि विजडम का अर्थ सबके प्रति प्यार और करुणा का भाव होना चाहिए तथा समाज में सम्मान की भावना जरूरी है। यह विचार उन्होंने ब्रह्माकुमारीज़ के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।

'न्याय में विवेक न हो तो यह दिशा रहित'

दादी प्रकाशमणी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में न्यायाधीश पुष्करना ने कहा कि न्याय बिना विवेक के दिशा रहित है। न्याय हमें आश्वस्त करता है और जीवन में महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने न्याय को केवल कानून तक सीमित न रखते हुए कहा कि उसमें प्यार और करुणा भी आवश्यक हैं। समय और सभ्यता के अनुसार न्याय का स्वरूप बदलता रहता है, जिसमें पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखना भी शामिल है।

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भारतीय संस्कृति में विजडम का सर्वोच्च स्थान

ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में विजडम का सर्वोच्च स्थान है और भारत आध्यात्मिकता में विश्व गुरु है। उन्होंने कर्म को सबसे बड़े न्यायाधीश बताया और कहा कि न्याय संगत कार्य करना ही विजडम है। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वी. ईश्वरैया ने न्याय को सच्चाई और विश्वास का पर्याय बताया। उन्होंने राजयोग के अभ्यास से अपने निर्णयों में पारदर्शिता और संतुष्टि महसूस होने की बात कही।

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न्याय में विवेक के बिना निर्णय भी संभव नहीं : जस्टिस मिनी

राजयोगिनी बीके पुष्पा दीदी ने सत्यता को न्याय का सबसे बड़ा गुण बताया और कहा कि आध्यात्मिक सशक्तीकरण के बिना विवेकपूर्ण निर्णय संभव नहीं। पूर्व न्यायाधीश बी. डी. राठी ने न्यायिक सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए. आर. मसूदी ने न्याय के तराजू के संतुलन और स्व-अनुभूति की आवश्यकता बताई। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य राजवीर सिंह वर्मा ने कहा कि आज न्याय तथ्य आधारित है, सत्य आधारित नहीं, इसलिए आध्यात्मिक गुण जरूरी हैं।

कार्यक्रम में न्यायविद प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक बीके नथमल ने आध्यात्मिक सशक्तिकरण की दिशा में की जा रही गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में वित्त विभाग के प्रबंधक बीके राजेंद्र ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर न्यायविद प्रभाग ने राष्ट्रीय स्तर पर 15 मार्च 2026 तक चलने वाले “वैल्यूज बेस्ड जस्टिस: द सोल ऑफ लॉ” अभियान का शुभारंभ भी किया। सम्मेलन में 450 से अधिक न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोग शामिल हुए।

मंच संचालन बीके श्रद्धा एवं बीके येशु ने किया, जबकि माउंट आबू से आई बीके लता अग्रवाल ने सभी को राजयोग के अभ्यास से शांति की अनुभूति कराई।
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