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गुजविप्रौवि में जाम्भवाणी हवन व सिंधु जल कलश स्थापना

Jambhavani Havan and Indus Jal Kalasha installation in Gujviprauvi
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हिसार, 3 जुलाई (हप्र) _ गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार में जाम्भवाणी व सिंधु जल कलश  स्थापना की गई। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि सिंधु नदी केवल एक जलधारा नहीं, बल्कि ज्ञान, आस्था और संस्कृति की धारा है। आज जब विश्व पर्यावरण संकट, जल प्रदूषण और सांस्कृतिक विघटन की समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में सिंधू दर्शन हमें प्रकृति और संस्कृति के बीच सामंजस्य की प्रेरणा देते हैं तथा जल संरक्षण, सतत विकास व सांस्कृतिक चेतना का संदेश देते हैं।

सिंधु जल कलश के अवसर पर बोले नरसीराम बिश्नोई

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई बृहस्पतिवार को गुरु जम्भेश्वर महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान के सौजन्य से नये शैक्षणिक सत्र 2025-26 के शुभारंभ पर हुए जाम्भवाणी हवन व सिंधु जल कलश स्थापना अनुष्ठान के अवसर पर मुख्य यजमान के रूप में अपना संबोधित कर रहे थे। अनुष्ठान की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विजय कुमार ने की। इस अवसर पर गुरु जंभेश्वर जी महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष डॉ. किशनाराम बिश्नोई उपस्थित रहे।

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कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के गुरु जम्भेश्वर जी महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान में उनके स्वयं के द्वारा सिंधु नदी से लाए गए पवित्र जल के कलश की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि सिंधु नदी भारत के इतिहास की सबसे पुरानी व पवित्र नदी है। वेदों व पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है। सिंधु नदी के इतिहास के बिना भारत के इतिहास की कल्पना नहीं की जा सकती।

सिंधु जल कलश स्थापना के अवसर पर बताया नदी का महत्व

लगभग 3000 किलोमीटर लंबी इस नदी के परिदृश्य को लद्दाख में देखने से दिव्य अनुभव की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि नई ऊर्जा और उत्साह के साथ हम नए शैक्षणिक सत्र का शुभारंभ कर रहे हैं। नई योजनाओं और नए कोर्सों के साथ विश्वविद्यालय में इस वर्ष लगभग 10 हजार विद्यार्थी होंगे। यह हमारे लिए एक नया अनुभव और जिम्मेदारी होगी। गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के सिद्धांतों पर चलते हुए हम निरंतर नए आयामों को छू रहे हैं।

कुलसचिव डा. विजय कुमार ने भी नए शैक्षणिक सत्र के शुभारंभ के अवसर पर जाम्भवाणी हवन व सिंधु जल कलश स्थापना अनुष्ठान पर विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, अधिकारी, कर्मचारी व इनके परिजनों को भी सिंधु नदी के पवित्र जल के लघु कलश दिए गए। जाम्भवाणी व हवन यज्ञ का संचालन नेकी राम बिश्नोई ने किया।

प्रो. नरसीराम बिश्नोई बने गुजवि के कुलपति

 

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