श्राद्ध में पितरों को खुश करने के लिए काला तिल, चावल और पीतल के बर्तन खरीदना शुभ
सात सितंबर रविवार से पितृपक्ष की शुरुआत होगी। इस बार तृतीया और चतुर्थी तिथि का श्राद्ध एक ही दिन किया जाएगा। प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर के आचार्य राहुल कुमार ने बताया कि पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। मान्यता है ऐसा करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की प्राण त्यागने की तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है। साथ ही उसके बाद दक्षिणा और वस्त्र देने का विधान है। श्राद्ध पक्ष में पितृ-तर्पण और श्राद्ध कर्म करना नितान्त पुण्यप्रद व घर में शांति देने वाला माना जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर आते हैं। श्राद्ध में पितरों को खुश करने के लिए काला तिल, चावल (अक्षत), और पीतल, तांबे या चांदी के बर्तन जैसी चीजें खरीदना शुभ माना जाता है।