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अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव : ब्रह्मसरोवर पर ढेरु गाथा ग्रुप के कलाकारों ने जमाया रंग

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों की लोक कला को पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। इन प्रदेशों के उन लोक नृत्यों को कलाकार प्रस्तुत कर रहे हैं, जो लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। हरियाणा...

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कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के तट पर आयोजित कार्यक्रम में अपनी कला का प्रदर्शन करते कलाकार। -हप्र
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अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों की लोक कला को पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। इन प्रदेशों के उन लोक नृत्यों को कलाकार प्रस्तुत कर रहे हैं, जो लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। हरियाणा में कुछ ही कलाकार ही बचे हैं जो बीन, तुंबा, ढोलक, खंजरी बजा कर जोगी नाथ बीन सपेरा परम्परा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इस महोत्सव में ढेरु गायन गाथा, बाजीगर कला और कच्ची घोड़ी जैसी लोक कलाओं को ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर देखा जा रहा है।

कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के तट पर आयोजित कार्यक्रम में अपनी कला का प्रदर्शन करते कलाकार। -हप्र
कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के तट पर आयोजित कार्यक्रम में अपनी कला का प्रदर्शन करते कलाकार। -हप्र

ब्रह्मसरोवर के तट पर ढेरु गाथा गायन ग्रुप के कलाकार हरियाणवी संस्कृति का रंग जमा रहे हैं। लोक कलाकारों ने बताया कि ग्रुप में उनके अन्य साथी कलाकार भी उनके साथ इस कला को जीवित रखने का काम कर रहे हैं। सभी कलाकार पारम्पकि वेशभूषा से सुसज्जित होकर बीन, तुम्बा, ढोलक, खंजरी बजाकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। यह महोत्सव लोक कलाकारों का एक बड़ा मंच बन चुका है।

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वहीं विभिन्न प्रदेशों के खान-पान का भी यहां पर सहजता से मजा लिया जा सकता है। इन खानपान के व्यंजनों के बीच में जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिला के गांव पटन से आए मोहम्मद मगबूल सूफी व उनके साथी अपने साथ कश्मीर का मुख्य पेय कश्मीरी काहवा व ड्राई फ्रूट लेकर महोत्सव में पहुंचे हैं।

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