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इनेलो ने प्रदर्शन कर पंजाब से मांगा हरियाणा के हिस्से का पानी, महिलाओं ने मान सरकार के खिलाफ फोड़े मटके

पानी पर विवाद : प्रदेशाध्यक्ष बोले- हरियाणा के हक के लिए हर मोर्चे तक लड़ी जाएगी लड़ाई
कैथल में पंजाब से पानी कम करने के विरोध में प्रदर्शन करते इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा व कार्यकर्ता। -हप्र
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ललित शर्मा/हप्र

कैथल, 5 मई

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पूर्व मुख्य संसदीय सचिव एवं इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल माजरा की अगुवाई में इनेलो ने पंजाब सरकार द्वारा पानी कम किए जाने पर सोमवार को प्रदर्शन किया और सीटीएम गुरविंद्र सिंह को प्रधानमंत्री के नाप ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन में कार्यकर्ताओ ने पंजाब के सीएम भगवंत मान के पुतले की प्रतीकात्मक शवयात्रा भी निकली। इससे पूर्व इनेलो कार्यकर्ता जवाहर पार्क में एकत्रित हुए। प्रदर्शन में शामिल महिलाओ ने पंजाब के सीएम भगवंत मान के नाम के मटके भी फोड़े।

इस मौके पर रामपाल माजरा ने कहा कि आप सरकार की पंजाब से जड़े उखड़ती दिख रही हैं। दिल्ली में लोगों ने इसका सफाया कर दिया। अब पंजाब से भी इस पार्टी को अपना सूपड़ा साफ होता दिख रहा है तो लोगों की भावनाओं का फायदा उठाने की फिराक में आम आदमी पार्टी सरकार ने अब संघीय ढांचे को नकारकर अराजकता फैलाने का काम किया है। केंद्र के फैसले हों, बीबीएमबी के फैसले हों, जल समझौते हों या सुप्रीम कोर्ट के आदेश हों पंजाब सरकार ने सभी को नकार कर संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाया है।

पंजाब पर मनमानी के आरोप

माजरा ने कहा कि सबसे पहले 29 जनवरी 1955 को पहला पानी बंटवारे का समझौता हुआ। इसके बाद श्रीराम कमेटी की सिफारिशों पर समझौता हुआ। इसके बाद 1971 में तत्कालीन योजना मंत्री दुर्गा प्रसाद धर की अध्यक्षता में कमेटी बनी और उसकी सिफारिशें पर समझौता हुआ। इसके बाद भारत सरकार ने 1976 में पानी बांटा।

इसके बाद वधवा कमेटी की सिफारिश पर समझौता हुआ। इसके बाद 31 दिसंबर 1981 को भारत सरकार ने समझौता करवाया। इसके बाद 30 जनवरी 1987 को न्यायमूर्ति बीबी इराडी ने फैसला दिया। इसके बाद 2002, 2004, 2016 में भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले आए। इन सभी समझौतों व फैसलों में हरियाणा को उसका पानी देने की बात कही गई लेकिन पंजाब ने इन किसी भी फैसलों व समझौतों को लागू नहीं किया।

पिछले माह बीबीएमबी की तकनीकी कमेटी ने फैसला दिया कि हरियाणा सरकार द्वारा पानी छोड़ा जाना है, वह भी पंजाब ने नहीं माना। इसके बाद 30 अप्रैल को बीबीएमबी ने फैसला दिया, वह भी नहीं माना। दो अप्रैल को हुई बैठक में पंजाब के अधिकारी आए ही नहीं।

ये भी रहे शामिल

प्रदर्शनकारियों में इनेलो जिलाध्यक्ष अनिल तंवर, शशी वालिया, रामप्रकाश गोगी, राजा राम माजरा, जसमेर तितरम, मोनी बालू, इंद्र पाई, महाबीर पट्टी अफगान, हलकाध्यक्ष रोहित कुंडू कैलरम, किसान सैल के जिलाध्यक्ष सलिंद्र राणा, ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष सोनू वर्मा, जिलाध्यक्ष महिला सैल पूनम सुल्तानी, पवन ढुल एडवोकेट, राजेश प्यौदा, काला प्यौदा, शहरी अध्यक्ष सतीश गर्ग, प्रदीप सिंहमार सहित हजारों की संख्या में इनेलो कार्यकर्ता व पदाधिकारी उपस्थित थे।

पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग

माजरा ने कह कि हरियाणा का पानी का मामला राजनीति की भेंट चढ़ गया है। पंजाब के नेताओं को पानी के मुद्दे में राजनीतिक सफलता नजर आती है लेकिन लोग अब जागरूक हो गए हैं। पंजाब से आम आदमी पार्टी का सूपड़ा साफ होगा। माजरा ने कहा कि इनेलो पार्टी हरियाणा के किसानों के लिए किसी भी स्तर तक लड़ाई लड़ेगी।

पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ने भी जल युद्ध किया था। इसके बाद अभय चौटाला ने भी एसवाईएल के पानी के लिए लगातार संघर्ष किया है। इनेलो केंद्र सरकार से मांग करती है कि पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए और बीबीएमबी के फैसले के अनुसार हरियाणा को उसके हक का पानी दिया जाए। ताकि प्रदेश में सिंचाई व पेयजल के लिए पानी की कमी न रहे। माजरा ने कहा कि पानी नियंत्रण कक्ष पर ताला लगाना और पुलिस तैनात करना दुर्भाग्यपूर्ण है। पंजाब सरकार को संघीय ढांचे का सम्मान करना चाहिए।

 

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