करनाल, 1 जून (हप्र)
आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल ने विश्व दुग्ध दिवस को बड़े उत्साह और छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की भागीदारी के साथ मनाया। इस वर्ष का विषय, आइए डेयरी की शक्ति का जश्न मनाएं, दुनियाभर में डेयरी क्षेत्र के पोषण संबंधी लाभों, सामाजिक-आर्थिक महत्व और पर्यावरणीय प्रगति को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
एनडीआरआई के निदेशक और कुलपति डॉ. धीर सिंह ने कहा कि आजादी के शुरुआती दौर में दूध की कमी वाला देश भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनकर उभरा। डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि भारतीय डेयरी क्षेत्र में लगभग 450 मिलियन छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में डेयरी और पशुपालन क्षेत्र का योगदान 4.5 प्रतिशत है और कृषि क्षेत्र में डेयरी क्षेत्र का योगदान 24 प्रतिशत है, जिसका मूल्य लगभग 10 लाख करोड़ रुपये है और यह दुनिया में सबसे अधिक है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि आईसीएआर -एनडीआरआई ने गुणवत्ता वाले जर्म प्लाज्म, उत्कृष्ट नस्लों, कुशल जनशक्ति और बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और समय पर इनपुट का उत्पादन करके राष्ट्र की श्वेत क्रांति का समर्थन किया है। इन सामूहिक प्रयासों के कारण, भारत 1998 से दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में राज कर रहा है। भारत में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता विश्व की औसत प्रति व्यक्ति उपलब्धता से अधिक है, अर्थात 322 ग्राम/दिन।
घटती कृषि भूमि लक्ष्य प्राप्त करने में बन रही बाधा
लक्षित 330 एमएमटी को प्राप्त करने के लिए, हमें कम से कम 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर हासिल करने की आवश्यकता है, लेकिन चारे की बढ़ती लागत, घटती कृषि भूमि, उभरती हुई बीमारियां लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधा बन रही हैं। उत्पादन लागत और मीथेन उत्पादन को कम करने के लिए स्वदेशी दुधारू नस्लों की उत्पादकता बढ़ाना एक और क्षेत्र है, जिस पर गंभीरता से ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डॉ. जेपी मिश्रा, निदेशक, आईसीएआर-अटारी, जोधपुर ने छात्र कार्य-प्रदर्शनी और आईसीएआर-एनडीआरआई द्वारा विकसित उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का दौरा किया। डॉ. मिश्रा ने भारत के डेयरी क्षेत्र के विकास में आईसीएआर-एनडीआरआई की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीतने वाले छात्रों को बधाई दी। कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. एके सिंह, संयुक्त निदेशक (अकादमिक), डॉ. राजन शर्मा, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), विभागाध्यक्ष और वैज्ञानिक, तकनीकी कर्मचारी और छात्र भी शामिल हुए।