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साधु-संतों के उपदेशों को जीवन में करें आत्मसात करें : कृष्ण बेदी

नगरपालिका के चेयरमैन व आजीवन हिंदु उत्थान से जुड़े समाजसेवी डाॅ. गुलशन कवातरा ने धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में समरस्ता व सदभावना उत्सव का आयोजन किया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद के सानिध्य...

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शाहाबाद में दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ करते स्वामी ज्ञानानंद व मंत्री कृष्ण बेदी।  -निस
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नगरपालिका के चेयरमैन व आजीवन हिंदु उत्थान से जुड़े समाजसेवी डाॅ. गुलशन कवातरा ने धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में समरस्ता व सदभावना उत्सव का आयोजन किया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद के सानिध्य में आयोजित इस सम्मेलन में सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री कृष्ण बेदी मुख्यातिथि रहे, जबकि गुमटी वाली माता, ज्ञानी साहब सिंह, भगवान वाल्मीकि धाम के पीठाधीश संत बालयोगी, संगम नाथ महाराज, संत त्यागपुरी नगली कुटिया वाले ने भी अपना आशीर्वाद दिया और सर्वधर्म समरस्ता सदभावना उत्सव आयोजित करने के निर्णय को सराहनीय निर्णय बताया। कार्यक्रम में विधायक रामकरण काला व मदनमोहन छाबड़ा भी विशेष तौर पर मौजूद रहे।

मुख्यातिथि बेदी ने कहा कि अहिंसा का प्रथम पाठ करूणा सागर वाल्मीकि ने ही इस संसार को दिया। आज हमें साधु-संतों के उपदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा 2000 करोड़ से वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना, वाल्मीकि जयंती को राजकीय स्तर पर मनाने की शुरूआत, सफाई कर्मचारियों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के अनेक निर्णय वर्तमान प्रदेश सरकार की वाल्मीकि समुदाय को ऐतिहासिक व अपूर्व देन है। ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि भगवान वाल्मीकि की अमर कृति रामायण भारतीय संस्कृति, सभ्यता और समाज की अमूल्य निधि है। महापुरूष पूरी मानवता की अमूल्य धरोहर होते हैं। आयोजक डाॅ. गुलशन कवातरा ने क्षेत्रवासियों का आभार प्रकट किया।

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