Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

प्रभुभक्ति से विहीन मानव जीवन रेगिस्तान के समान

दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा आयोजित पांच दिवसीय श्रीमद्भागवत में कथा व्यास साध्वी मनस्विनी भारती ने कहा कि प्रभु कथा हमें शाश्वत शांति के साथ जोड़ती है, वहीं दूसरी ओर हमें जागरूक भी करती है। भगवान श्रीकृष्ण को जान लेने...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
पिहोवा में सोमवार को कथा वाचन करते साध्वी मनस्विनी भारती। -निस
Advertisement

दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा आयोजित पांच दिवसीय श्रीमद्भागवत में कथा व्यास साध्वी मनस्विनी भारती ने कहा कि प्रभु कथा हमें शाश्वत शांति के साथ जोड़ती है, वहीं दूसरी ओर हमें जागरूक भी करती है। भगवान श्रीकृष्ण को जान लेने के बाद ही मनुष्य प्रभु की लीलाओं को समझ पाता है। प्रभु भक्ति से विहीन होकर मानव जीवन एक ऐसा रेगिस्तान है, जहां भावों की सरिता का बहना असाध्य रहा है। वह जीवत्व से शवत्व की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में उसके अंत:करण से प्रभु के लिए भावों का प्रस्फुटिकरण होना असंभव सा प्रतीत होता है। साध्वी ने इस समस्या का समाधान देते हुए कहा कि भावों व प्रेम के लिए मानव को प्रभु भक्ति से जुड़ना भक्ति को एक पूर्ण सदगुरु ही हमारे भीतर प्रकट कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के समक्ष दो मार्ग होते हैं। साधारण शब्दों में एक आत्मा का मार्ग है और दूसरा मन का। एक सुलझन की ओर ले जाता है और एक उलझन की ओर। इन्हीं के बीच फंसकर सही चयन न कर पाने की दशा ही तनाव, उदासी व क्षोभ का कारण है जिससे अनेक मनोवैज्ञानिक व्याधियां उत्पन्न होती हैं। यही आधुनिक समाज की समस्या है। यदि हम स्वयं को पहचाने और अंतरात्मा की चीत्कार सुने, उस पर अमल करें तो निश्चय ही समस्याओं का समाधान हो जाए।

Advertisement
Advertisement
×