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लंबे संघर्ष के बाद साकार हुआ एचएसजीएमसी का सपना

पंजाब के सिख नेताओं ने सिर्फ वादे ही किये
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कुरुक्षेत्र के इस भवन में चल रहा है हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी का कार्यालय। -हप्र
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विनोद जिंदल/हप्र

कुरुक्षेत्र, 13 जनवरी

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हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (एचएसजीएमसी) का 19 जनवरी को पहली बार चुनाव होंगे। 40 वार्डों में 4 पंजीकृत दलों, पंथक दल झिंडा ग्रुप, हरियाणा सिख समाज संस्था दीदार सिंह नलवी ग्रुप, हरियाणा पंथक दल कायमपुर ग्रुप तथा गुरुद्वारा संघर्ष कमेटी जसबीर सिंह भाटी ग्रुप के अलावा बलजीत सिंह दादूवाल दल (आजाद) के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें हरियाणा कमेटी के लिए संघर्ष करने वाले सभी बड़े सिख नेता भी चुनाव मैदान में हैं। सवाल यह है कि 100 साल से अस्तित्व में आई शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर से हरियाणा के सिख नेताओं के मन में किस प्रकार से आया कि दिल्ली की तर्ज पर हरियाणा में भी अलग से एसजीपीसी होनी चाहिए। बताया जा रहा है कि हरियाणा कमेटी के अस्तित्व में आने का सबसे बड़ा कारण पंजाब के ही दो बड़े सिख नेताओं के आपसी अहम और मनमुटाव है।

जानकारी के अनुसार शाहबाद नलवी गांव के दीदार सिंह नलवी पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला में एक अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। उनका वहां कई सिख नेताओं से तालमेल था। पंजाब सिख राजनीति के चलते उन्हें भी भनक लग गई और सेवानिवृत होकर नलवी में आकर हरियाणा कमेटी के लिए जोरदार मुहिम शुरू कर दी और हरियाणा के कईं बड़े सिख नेताओं जरनैल सिंह अजराना, अवतार सिंह चक्कू, हरबंस सिंह ढाचर, जोगा सिंह यमुनानगर तथा कंवलजीत सिंह अजराना ने एकत्रित होकर इस मुहिम को जोरदार तरीके से चलाया। इस बात की पुष्टि दीदार सिंह नलवी भी करते हैं कि जब वे सेवानिवृत हुए तो बातचीत के दौरान उसी समय उनके दिमाग में यह आ गया था कि हरियाणा जाकर वे हरियाणा कमेटी के लिए लोगों को एकत्रित करके एक मुहिम शुरू करेंगे। हरियाणा के सिख नेताओं ने अपना अस्तित्व दिखाने के लिए हरियाणा सिख गुरुद्वारा कमेटी के नाम से एक पार्टी पंजीकृत करवाई और वर्ष 2004 में जब सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर के चुनाव हुये तो उन्होंने हरियाणा की 11 सीटों पर चुनाव भी लड़ा और 7 सीटों पर विजय प्राप्त की।

यह बात पंजाब के बड़े सिख नेताओं शिरोमणी अकाली दल बादल के नेताओं तथा तत्कालीन सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर को हजम नहीं हुई और उन्होंने भी हरियाणा की सिख संगत को अपने पक्ष में करने के लिए कईं घोषणाएं करनी शुरू कर दी, जिसमें कुरुक्षेत्र में ही अमृतसर कमेटी का एक सब-ऑफिस बनाए जाने की घोषणा कर दी।

एसजीपीसी, अमृतसर के तत्कालीन अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने यहां आकर बकायदा एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करके किरमिच रोड पर एक भूमि पर सब-ऑफिस का नींव पत्थर भी रखा। कुछ समय बाद यहां स्थित छठी पातशाही गुरुद्वारा के पास वाले सिख मिशन हरियाणा (गुरु रामदास सरायं) जो धर्म प्रचार का हरियाणा के लिए मुख्य केन्द्र था, में सब-आॅफिस खोल दिया और वहां से एसजीपीसी अमृतसर की गतिविधियां शुरू कर दी गई। वोटर मामले को लेकर मुकदमेबाजी के बाद 2011 में फिर चुनाव हुआ। लेकिन इसमें हरियाणा कमेटी का एक भी सदस्य नहीं जीत पाया। पर संघर्ष जारी रहा।

जगदीश सिंह झिंडा तथा दीदार सिंह नलवी के अलावा कईं पदाधिकारी मुख्य भूमिका निभाते रहे और कंवलजीत सिंह अजराना युवा विंग के प्रधान बने और अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संघर्षरत लोगों का मुख्य टारगेट एसजीपीसी अमृतसर तथा शिरोमणी अकाली दल बादल पर ही रहा। लंबे संघर्ष के बाद वर्ष 2022 में कमेटी अस्तित्व में आई। एडोहक कमेटी चलती रही और अब पहली बार हरियाणा कमेटी का चुनाव हो रहा है। 22 साल के संघर्ष के दौरान हरियाणा कमेटी का मुख्य टारगेट शिरोमणी अकाली दल बादल तथा एसजीपीसी अमृतसर ही रहे और अब चुनाव में भी उन्हीं को ही टारगेट किया जा रहा है।

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