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होलाष्टक सात मार्च से शुरू, इस दौरान शुभ काज की मनाही : आचार्य त्रिलोक

जगाधरी, 4 मार्च (हप्र) सनातन धर्म में होली के त्योहार का बड़ा महत्व है। होली उत्सव से पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती...
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जगाधरी, 4 मार्च (हप्र)

सनातन धर्म में होली के त्योहार का बड़ा महत्व है। होली उत्सव से पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी 6 मार्च को सुबह 10:50 पर शुरू हो रही है और इसका समापन 7 मार्च को सुबह 9: 18 पर होगा। इसलिए उदयतिथि के आधार पर फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि 7 मार्च को है। यह होलाष्टक की शुरुआत का प्रतीक है। प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर के आचार्य त्रिलोक शास्त्री ने बताया कि होलाष्टक 13 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन के साथ समाप्त होगा। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर होली के त्योहार तक 8 दिनों तक चलने वाला होलाष्टक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावधानी और चिंतन का समय है। इस बार पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे होगा और यह 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी। त्रिलोक का कहना है कि होलाष्टक 2 शब्दों से मिलकर बना है। होली और अष्टक यानि 8 दिनों का पर्व होता है। सनातन पद्धति के अनुसार होलाष्टक के दौरान दौरान शुभ काज जैसे शादी, नामकरण, गृहप्रवेश, मुंडन, संस्कार जैसे कई तरह के अनुष्ठान करना वर्जित है।

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