किसानों को मिली नई तकनीक की सीख, पर्यावरण संरक्षण को मिलेगी मजबूती
लाडवा में प्रशिक्षण सत्र के दौरान किसानों को नई तकनीक की सीख मिली। कृषि विभाग के एसडीओ डॉ. जितेंद्र मेहता ने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था में धान की खेती का अहम योगदान है, लेकिन जल संकट और तकनीकी जानकारी की कमी जैसी चुनौतियाँ इस फसल को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि धान की परंपरागत खेती में पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है, लेकिन नई तकनीक जैसे डीडीएसआर अपनाने से 50% तक पानी की बचत संभव है, जबकि उत्पादन समान रहता है।
किसानों के लिए किफायती और सरल तकनीक
किसान क्राफ्ट से जुड़े किशनजीत सिन्हा ने किसानों को बताया कि डीडीएसआर तकनीक के तहत:
- न तो नर्सरी की जरूरत होती है
- न ही मिट्टी को कद्दू करने (puddling) की आवश्यकता होती है
- और न ही रोपाई करनी पड़ती है
इससे किसानों के श्रम और लागत दोनों में भारी कमी आती है। साथ ही, यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल भी है क्योंकि यह मीथेन गैस का उत्सर्जन कम करती है, जिससे जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
हरियाणा के सात स्थानों पर अपनाई गई तकनीक
इस खरीफ सीजन में किसान क्राफ्ट द्वारा यह डीडीएसआर तकनीक हरियाणा के सात स्थानों पर अपनाई गई है। प्रह्लादपुर में आयोजित यह कार्यशाला किसानों को व्यावहारिक जानकारी देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम थी, जहां उन्होंने खेत स्तर पर डीडीएसआर तकनीक को समझा और अपनाने के लिए प्रेरित हुए।
नई तकनीक की सीख, किसानों में दिखा उत्साह
प्रशिक्षण में शामिल किसानों ने इस तकनीक को लेकर गहरी रुचि दिखाई और इसे अपनी अगली फसल में आजमाने की बात कही।
उनका कहना था कि बढ़ती लागत और घटते जलस्तर की चुनौती के बीच यह तकनीक कृषि में टिकाऊ समाधान बन सकती है।