Dahia Ke Dohe : धर्मदेव विद्यार्थी ने किया पुस्तक का विमोचन
जींद, 24 फरवरी (हप्र) : सोमवार को हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ धर्मदेव ने सरोज दहिया की पुस्तक (Dahia Ke Dohe ) दहिया के दोहे का विमोचन किया। डॉ धर्मदेव विद्यार्थी ने इस दौरान कहा कि हरियाणवी बोली ही नहीं, एक ऐसी भाषा है, जो अपने-आप में संपूर्ण भाषा है। इस भाषा में गीत, रागनी, उपन्यास, दोहे इत्यादि सभी प्रकार का साहित्य उपलब्ध हैं। इसलिए हरियाणवी को संवैधानिक रुप से भाषा का दर्जा मिलना चाहिए ।
सरोज दहिया की पुस्तक Dahia Ke Dohe
ये बातें हरियाणा साहित्य संस्कृति अकादमी के लिए निदेशक डॉ. धर्म देव विद्यार्थी ने सोनीपत की साहित्यकार सरोज दहिया की पुस्तक दहिया के दोहे का विमोचन करते हुए हरियाणावी भाषा की महत्ता पर जोर दिया। सरोज दहिया ने अब तक हरियाणवी भाषा में उपन्यास, रागनी और दोहे की 10 पुस्तकों का दर्शन किया है।
Dahia Ke Dohe : हरियाणवी भाषा में लिखे एक हजार दोहे
सरोज दहिया ने हरियाणवी भाषा में विभिन्न विषयों पर एक हजार दोहे लिखकर दहिया के दोहे नामक पुस्तक डॉक्टर धर्म देव विद्यार्थी और रश्मि विद्यार्थी को समर्पित की है तथा एक बार फिर से सिद्ध किया है कि हरियाणवी बोली नहीं, भाषा है। सरोज दहिया ने बताया कि वे बचपन से हरियाणवी और हिंदी में लिखती रही हैं।
उनकी पुस्तकें हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी की गई। उन्होंने अपने लेखन का श्रेय रोहतक की बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ बाबूराम को दिया है, जो समय-समय पर उन्हें मार्गदर्शन देते रहते हैं।
हरियाणवी भाषा पर हो रहा है काम : सरोज
उन्होंने बताया कि हरियाणा में हरियाणवी भाषा पर काफी काम हो रहा है। लगभग 200 से अधिक लेखक अपनी रचनाओं की रचना कर रहे हैं। उन्होंने हरियाणा साहित्य और अकादमी द्वारा हरियाणवी बोली को भाषा बनाने के प्रयास सराहना की। अकादमी के नेतृत्व में हरियाणवी बोली को भाषा बनाने के लिए पांच उप समितियों का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि वह अकादमी के निदेशक डॉ धर्म देव विद्यार्थी की कार्यशैली, सादगी और सरलता से बहुत प्रभावित हुई।