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Haryana News : ये है रोडवेज की लारी.. टूटे शीशे, टूटी बारी

हरियाणा में बसों की हालत खस्ता, जान हथेली पर रखकर सफर करते हैं हजारों यात्री
बस की उधड़ी तारें व जंग लगा दरवाजा। सभी फोटो : हप्र
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ललित शर्मा/हप्र

कैथल, 17 जनवरी

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अगर आपको रोडवेज की बस से कैथल से कुरुक्षेत्र, ढांड, यमुनानगर, पिहोवा या लाडवा जाना है तो यह आपके साहस की परीक्षा हो सकती है। कैथल और कुरुक्षेत्र डिपो की सैकड़ों बसों में से 46 की हालत बहुत खराब है और 12 पूरी तरह कंडम हैं। हिचकोले खाकर चलती इन बसों में बैठे यात्रियों को फर्श में से जमीन नजर आती है और छत में से आसमान दिखता है। खिड़कियों के टूटे शीशों से ठंडी हवा के झोंके चेहरे पर तमाचों की तरह लगते हैं। दरवाजे के पास खड़ा कंडक्टर सवारियों को दरवाजे का हैंडल पकड़ कर जोर न लगाने की ताकीद करता है। कहता है- ‘भाई आराम तै, कहीं हैंडल हाथ म्ह ना आ ज्यावै।’

बस का टूटा इंडिकेटर

बात सिर्फ यात्रियों की नहीं है, बल्कि ड्राइवर और कंडक्टर भी खटारा बसों से त्रस्त हैं। ड्राइवर कहते हैं कि अधिकतर बसों की वायरिंग उधडी पड़ी है। पता नहीं, कब कहां से चिंगारी निकले और आग लग जाए। क्लच कम काम करता है और ब्रेक कब साथ छोड़ जाए, भगवान ही जानता है। तापमान मीटर ठीक नहीं है। हालत यह है कि बस को बंद करने के लिए कोई चाबी घुमानी नहीं पड़ती, बल्कि एक रस्सी व तार खींचकर जुगाड़ से इन्हें बंद करना पड़ता है। एक बस के चालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘साहब! बस में बैठी सवारियां ही नहीं डरती, बल्कि बस चलाते समय हमें भी डर लगता है। सच बताऊं तो नौकरी जाने का डर लगता है। हमने एक दो बार तो इन खटारा बसों को चलाने का विरोध किया, लेकिन अधिकारी कहते हैं, अगर बसें नहीं चलाओगे तो विभाग को रिपोर्ट कर देंगे।’ हरियाणा कर्मचारी महासंघ के जिला सचिव एवं परिचालक बलवान कुंडू ने कहा कि खटारा बसों को लेकर वे रोडवेज के जीएम को अवगत करवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि समस्या बड़ी है, लेकिन कोई सुधार नहीं हो रहा। उन्होंने मांग की कि रोडवेज के बेड़े में नयी बसें शामिल की जाएं।

टूटी खिड़की व हैंडल

एनसीआर जिलों से भेजी जा रही खटारा बसें : एनसीआर क्षेत्र में 10 वर्ष से पुरानी बसें नहीं चलती। नाॅन एनसीआर में 10 वर्ष से पुरानी बसें चल सकती हैं। ऐसे में विभाग के आदेशानुसार कैथल डिपो से 40 से अधिक बसें एनसीआर क्षेत्र में भेज दी गई और झज्जर, भिवानी, पानीपत, दिल्ली से कंडम बसें आ यहां आ गईं। कैथल में आई इन कंडम बसों में यात्रियों की परेशानी बढ़ा दी है।

मेरे स्तर की बात नहीं : जीएम

कैथल रोडवेज डिपो के जीएम कमलजीत चहल ने कहा कि उनके डिपो से एनसीआर जिलों में कुछ बसें भेजी गई थीं। उनके बदले में कुछ कंडम बसें यहां आ गईं। सारी बसें कंडम नहीं हैं, कुछ ठीक भी हैं। उच्च अधिकारियों के संज्ञान में यह सारा मामला है। उन्होंने ये बसें भिजवाई हैं। उन्होंने कहा कि मेरे स्तर की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि शीघ्र ही नयी बसें आएंगी।

मंत्री जी आते हैं तो छिपा दी जाती हैं

कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर की यात्रा करने वाले दैनिक यात्रियों ने कहा कि परिवहन मंत्री अनिल विज बेशक बस अड्डों व बसों का निरीक्षण करते हों, लेकिन वे कैथल, कुरुक्षेत्र को सुरक्षित बसें उपलब्ध करवाने में नाकामयाब रहे हैं। यात्री संदीप, मीनू, सोनू, सार्थक का कहना है कि जब हम बस का पूरा किराया देते हैं तो खटारा बसों में सवारी क्यों करें। उन्होंने कहा कि जब मंत्री बसों का निरीक्षण करने आते हैं तो ये खटारा बसें वर्कशॉप में खड़ी कर दी जाती हैं और नयी बसें दिखा दी जाती हैं। यात्रियों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की कि कैंथल डिपो की जर्जर बसों को तुरंत बदलकर नयी बसें शुरू की जाएं।

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