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Haryana News : दादूपुर-नलवी नहर को डी-नोटिफाई करने का कानून रद्द

प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट का झटका
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यमुनानगर में दादूपुर नलवी नहर में उगे पेड़। -हप्र
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सुरेंद्र मेहता/ हमारे प्रतिनिधि

यमुनानगर, 30 दिसंबर

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दादूपुर-नलवी नहर परियोजना को खत्म कर चुकी हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट ने झटका दिया है। परियोजना को डी-नोटिफाई करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 2018 में भूमि अधिग्रहण संबंधी कानून में शामिल की गयी धारा 101ए को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है। दादूपुर-नलवी संघर्ष समिति यमुनानगर ने गत 20 दिसंबर को आये फैसले की प्रति मिलने के बाद सोमवार को यह जानकारी दी। समिति के अध्यक्ष कश्मीर सिंह ढिल्लों ने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के चलते अब किसानों व जमीन मालिकों को मुआवजे की बकाया राशि मिलेगी, वहीं नहर दोबारा शुरू होने से 223 गांवों के लोगों को सिंचाई के लिए पानी भी मिलेगा।

यमुनानगर में मीडिया से बातचीत करते संघर्ष समिति के सदस्य। -हप्र

ढिल्लों ने बताया कि साल 2004-2005 में दादूपुर-नलवी नहर का कार्य शुरू हुआ था और 2008-2009 से इसमें पानी चालू कर दिया गया था। साल 2017 तक इस नहर में पानी रहा, जिससे क्षेत्र में जलस्तर बढ़ा और गांवाें की जमीनों को सिंचाई का भी लाभ मिला। उन्होंने बताया कि नहर के लिए करीब 1026 एकड़ भूमि अधिगृहीत की गयी था। उस समय सरकार ने भूमि मालिकों को 5 लाख से लेकर 14 लाख रुपये तक प्रति एकड़ मुआवजा राशि दी थी, जबकि जमीन की कीमत 40 से 50 लाख रुपये प्रति एकड़ थी। जमीन मालिकों ने 1.25 करोड़ रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग करते हुए कानूनी लड़ाई लड़ी। इस पर हाईकोर्ट ने 2016 में 1.16 करोड़ रुपये प्रति एकड़ मुआवजा तय किया था। लेकिन, इसके बाद सरकार ने इस परियोजना से अपने हाथ खींच लिए। सरकार ने भूमि अधिग्रहण संबंधी कानून में धारा 101ए शामिल कर 2018 में इस प्रोजेक्ट को डी-नोटिफाई कर समाप्त कर दिया। संघर्ष समिति ने इसे अदालत में चुनौती दी थी। समिति ने इसको लेकर डेढ़ साल तक धरना प्रदर्शन किए। वहीं 80 किलोमीटर पैदल मार्च भी निकाला गया था। \पत्रकार वार्ता में समिति के सदस्य राजेश दहिया, अर्जुन सुढैल, पवन गुगलो, सुभाष कम्बोज, अशोक कम्बोज, दलबीर सुढल, कृष्ण सैनी, सोमनाथ सैनी, अनिल भी मौजूद रहे।

नहर की जगह अब जंगल

दादूपुर नलवी नहर का अधिकांश हिस्सा अब जंगलनुमा बन चुका है। बड़ी संख्या में पेड़ और झाड़ियां उग चुकी हैं। नहर पर पुल बनाने पर करोड़ों रुपये खर्च हुए थे।

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