‘बेटियों की रक्षा के लिए सरकार संकल्पबद्ध’
कन्या भ्रूणहत्या के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाने और जनचेतना फैलाने के उद्देश्य से सिविल सर्जन कार्यालय में बृहस्पतिवार को नीमा संगठन के प्रतिनिधियों और जिले के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों की एक बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. रेणु चावला ने की। डॉ. रेणु चावला ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और स्वास्थ्य मंत्री आरती राव कन्या भ्रूण हत्या को लेकर अत्यंत गंभीर हैं। यह न केवल एक सामाजिक अपराध है, बल्कि मानवता के विरुद्ध भी है। सरकार की प्राथमिकता है कि बेटियों को सुरक्षित जन्म और गरिमापूर्ण जीवन मिले।
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व लिंग चयन निषेध अधिनियम का सख्ती से पालन करवाया जाये। गर्भपात में सहायक औषधियों की अवैध बिक्री और दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग विशेष निगरानी रखेगा।
सहयोग का दिया आश्वासन
बैठक में नीमा जिला इकाई के सचेतक डॉ. राजिंदर छाबड़ा ने कहा संगठन हमेशा समाजहित में कार्य करता आया है और आगे भी करेगा। जो भी चिकित्सक पीएनडीटी अधिनियम की अवहेलना करते पाए जाएंगे, उन्हें उजागर करने में संगठन स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करेगा।
साझा अपील
डॉ. बलविंद्र ने बैठक में कहा कि बीएएमएस चिकित्सकों को प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर इस सामाजिक कुरीति के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा तभी समाप्त होगी जब चिकित्सा समुदाय स्वयं इसे गंभीरता से ले और सरकार के निर्देशों का पूर्ण पालन करे। बैठक में पीएनडीटी नोडल अधिकारी डॉ. मुकेश कुमार, जिला औषधि नियंत्रक चेतन वर्मा, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी, नीमा इकाई के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप शर्मा, डॉ. बाबू राम यादव, डॉ. राजिंदर ठकराल, और पुंडरी और गुहला चीका इकाई के वरिष्ठ चिकित्सक विशेष रूप से उपस्थित रहे।
निर्णय और भावी कार्ययोजना
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पीएनडीटी अधिनियम के अंतर्गत संचालित सभी चिकित्सा इकाइयों की नियमित जांच की जाएगी। गर्भपात सहायक औषधियों की बिक्री पर कठोर नियंत्रण रहेगा। जनजागरण अभियान चलाकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में लोगों को जागरूक किया जाएगा। निजी व सरकारी क्षेत्र के सभी चिकित्सकों को शपथ दिलाई जाएगी कि वे लिंग जांच और भ्रूण हत्या जैसे अमानवीय कार्य में संलिप्त नहीं होंगे।